लखनऊः किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की मंशा अब धरातल पर नजर आने लगीं है. खेतों में काम करने वाले किसानों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने लगा है. अपनी आसमान छूती कीमतों से पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहे प्याज जिले में कुछ अन्य कारणों से महत्वपूर्ण है. इसकी वजह है, जिले में किसानों द्वारा बेमौसम प्याज का उत्पादन.
पूरे सूबे में रबी के मौसम में किसान प्याज का उत्पादन करते हैं, लेकिन जनपद में खरीफ के मौसम में प्याज का उत्पादन कर किसानों ने कृषि क्षेत्र में नया आयाम गढ़ दिया है. किसानों की हाड़तोड़ मेहनत ने खेती में ऐसा रंग जमाया कि बिना मौसम की फसल में सीजन की फसल से ज्यादा पैदावार हो रही है.
खरीफ के मौसम में प्याज का उत्पाद अनुसूचित वर्ग के किसानों को चुना गया
इस प्रक्रिया में किसानों को काकोरी और मॉल ब्लॉक के विभिन्न गांवों से अनुसूचित वर्ग के किसानों चुना गया और उन्हें प्याज के सेट रोपण के लिए मानसून के उपलब्ध कराया गया. 15 अगस्त के बाद सेट के रोपण के परिणामस्वरूप प्याज की फसल तैयार है.
विपरीत मौसम में किसान कर रहे प्याज की अच्छी खेती
लखनऊ के काकोरी क्षेत्र के काकराबाद गांव के जागरूक किसान राजेश पुष्कर व पुत्तीलाल ने जानकारी दी कि महाराष्ट्र में किसान पहले से ही खरीफ प्याज उत्पादन करके मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन उपयुक्त जलवायु परिस्थितियों और उपलब्ध किस्मों के बावजूद, उप-उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में किसान इस तकनीक के बारे में अनभिज्ञता के कारण फसल का उत्पादन नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने बताया कि अपनी आय को दोगुनी करने के उद्देश्य से मैंने केन्द्रीय उपोषड़ बागवानी संस्थान से प्रशिक्षण लेकर मैंने अपने भाई को भी इसकी जानकारी दी जिसको हम लोगों ने अपने खेत में लगाया लगाने के बाद हमने और भाई ने खेतों में जी तोड़ मेहनत की जिसके फलस्वरूप आज प्याज तैयार है. जिससे हम बेमौसम प्याज का उत्पादन कर अपनी आए को दुगनी कर रहे हैं. साथ ही संस्थान ने लखनऊ की परिस्थितियों में किसानों के खेतों में प्याज का उत्पादन करके प्रौद्योगिकियों को लोकप्रिय बनाने की पहल की है.
किसानों के ही खेत में खरीफ प्याज का सफलतापूर्वक कराया उत्पादन
केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र राजन ने बताया कि प्याज की कीमतें जब बढ़ती है तो शहर में रहने वाले लोग तो प्याज खा नहीं पाते. गांव मे इसका उपयोग कर पाना कठिन होता है. बरसात के मौसम के साथ-साथ प्याज के दाम भी बढ़ने लगते है अधिक तापमान और नमी वाले वातावरण में प्याज सड़ने के कारण उसे ज्यादा दिन भंडारित करना कठिन होता है. इसलिए दाम में बढ़ोतरी अगले फसल आने तक होती रहती है.
आमतौर पर उत्तर भारत में प्याज की फसल मार्च-अप्रैल में तैयार होती है और किसान को अच्छा दाम भी नहीं मिल पाता है । केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान ने किसानों के ही खेत में खरीफ प्याज का सफलतापूर्वक उत्पादन उस समय किया जब बढ़ती हुई मांग और सीमित आपूर्ति के कारण बाजार दाम अधिक हैं.
अपनी आसमान छूती कीमतों से पूरे देश में सुर्खियां बटोर रहा प्याज जिले में कुछ अन्य कारणों से महत्वपूर्ण है. इसकी वजह है, जिले में किसानों द्वारा बेमौसम प्याज का उत्पादन. पूरे सूबे में रबी के मौसम में किसान प्याज का उत्पादन करते हैं, लेकिन जनपद में खरीफ के मौसम में प्याज का उत्पादन कर किसानों ने कृषि क्षेत्र में नया आयाम गढ़ दिया है.