लखनऊ: नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के तहत राजधानी में एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. विकासखंड बख्शी का तालाब के अस्ती गोहाना कला, सरसावां गांव में कृषि विभाग ने मृदा संबंधी जानकारियां किसानों के साथ साझा की. मिट्टी की उर्वरता में कमी, खाद्यान्न फसलों, फलों और सब्जियों की पैदावार में निरंतर आ रही कमी पर चर्चा की गई.
कृषि विशेषज्ञों ने दी सलाह, ऐसे बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरता और पैदावार
राजधानी लखनऊ में शनिवार को कृषि विभाग ने नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के अंतर्गत एक दिवसीय कृषक प्रशिक्षण का आयोजन किया.
कृषक प्रशिक्षक चंद्रभान गुप्ता कृषि स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सहायक आचार्य डॉ. सत्येंद्र कुमार सिंह ने फसलों की पैदावार में आई कमी को दूर करने के लिए फसलों के ऊपर पोषक तत्व के छिड़काव की सलाह दी. गेहूं की फसल पर जिंक ईडीटीए का 0.5 फीसदी, सरसों की फसल पर 0.5 फीसदी सल्फर का छिड़काव, टमाटर की फसल को फटने से बचाने के लिए 0.25 फीसदी बोरेक्स का छिड़काव करने की सलाह दी गई. सहायक आचार्य ने कहा कि इन पोषक तत्वों के छिड़काव से फसलों में पोषक तत्वों की कमी भी दूर होगी. सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से हो रही कुपोषण जैसी बीमारियों से बचाव भी होगा.
वहीं डॉ. सिंह ने बताया किसानों को केला, आम एवं अमरूद के छोटे पौधों को पाला एवं कोहरे से बचाने के लिए पुआल से ढंकना और हल्की सिंचाई करना चाहिए. केले की फसल पर 3 ग्राम यूरिया को 1 लीटर पानी की दर का घोल बनाकर छिड़काव करने पर फसल की पैदावार बढ़ेगी. अगर फसल को बोए हुए 70 दिन हो गए हैं तो 50 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ प्रयोग कर फसल की पैदावार बढ़ाई जा सकती है.