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कब्जेदारों से परेशान परिवार को नहीं है पुलिस से आस, लगाए ये आरोप - कब्जेदोरों से परेशान परिवार

राजधानी लखनऊ में कब्जेदारों से परेशान एक परिवार न्याय के लिए दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर है. पीड़ित का आरोप है प्रशासन की मिलीभगत से उसकी सुनवाई नहीं हो रही है.

कब्जेदारों से परेशान परिवार
कब्जेदारों से परेशान परिवार

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Published : Dec 23, 2020, 2:03 PM IST

लखनऊ:प्रदेश सरकार भूमाफियाओं के प्रति चाहे जितनी सख्ती बरते, लेकिन जब जिम्मेदार ही संरक्षण दे रहे हों तो कब्जेदारों के हौसले बुलंद होना तय है. मजदूरी पेशा एक किसान अपने प्लॉट को कब्जा मुक्त कराने के लिए थाने से लेकर तहसील के चक्कर काट रहा है. न्याय तो नहीं मिला, लेकिन साठगांठ के चलते उसकी पत्नी को साजिशन जेल भेज दिया गया, जब इससे भी जी नहीं भरा तो उपजिलाधिकारी ने जमीन पर मुकदमा होने की बात कहकर टालना चालू कर दिया, जबकि मुकदमा कब्जेदार की जमीन पर चल रहा है. पीड़ित मुख्यमंत्री तक शिकायत भेज चुका है.

जानकारी देता पीड़ित
दबंगों ने जबरन किया कब्जा
प्राप्त जानकारी के अनुसार करीब 13 साल पूर्व खरीदी गई जमीन पर पड़ोसी दबंगों ने उस पर कब्जा कर लिया. पीड़ित परिवार सहित लखनऊ में था. करीब 4 वर्ष से पीड़ित थाने और तहसील के चक्कर लगाकर थक चुका है. लेकिन उल्टे उसकी पत्नी को जेल की हवा खानी पड़ी.
पुलिस ने पत्नी को झूठे मुकदमे में भेज दिया जेल
तहसील मलिहाबाद के थाना क्षेत्र माल के पीरनगर के रहने वाले मजदूरी पेशा नन्दलाल मौर्य ने बताया कि वर्ष 2007 में माल-इटौंजा रोड के पास 800 वर्ग फीट का प्लॉट खरीदा था. इसके बाद उस पर छह फीट की बाउंड्री कराकर टीन शेड रखवा दिया था. करीब चार वर्ष पूर्व प्लॉट के पूरब में रह रहे कमाल वारिस ने अपने परिजनों के साथ मिलकर प्लॉट के पूरब दिशा की दीवार तोड़कर अपने प्लॉट में मिला लिया, जब इसकी शिकायत पुलिस से किया तो उसकी गैर मौजूदगी में पत्नी को झूठा केस लगाकर जेल भेज दिया गया.
दर दर की ठोकरें खा रहा पीड़ित
पीड़ित का आरोप है कि दर्जनों बार तहसील के चक्कर लगाने के बाद एसडीएम मलिहाबाद ने कहा कि तुम्हारी जमीन का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, जब पीड़ित ने इसकी जानकारी इकट्ठा की तो उसकी भूमि संख्या 57 पर कोई वाद प्रचलित नहीं मिला, बल्कि वाद भूमि संख्या 62 को लेकर साजिशन कब्जाकर्ता कमाल वारिस ने खुद दायर किया है. उसमें चौहद्दी पश्चिम में माल-इटौजा रोड दिखाया गया है, जो कि धोखाधड़ी है, जबकि तहसील से आरटीआई व मौके पर सहित नजरी नक्शा में पश्चिम में पीड़ित का प्लॉट नंबर 57 है. पीड़ित का आरोप है कि जब यह बात एसडीएम से बताई गई तो उन्होंने महीनों टरकाने के बाद कहा कि अब तुम भी मुकदमा कर दो.
दबंगों को उच्च अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त
पीड़ित इस बात से काफी आहत है कि जब सक्षम अधिकारी इस तरह का बर्ताव करेंगे तो उसकी जमीन भूमाफियाओं से कब्जा मुक्त कौन कराएगा. दबंग भू-माफिया पुलिस और प्रशासन की मिली भगत से उसको और उसके परिवार को धमकाते हैं.

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