लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नोटबंदी के बाद जाली नोटों की तस्करी (Fake small currency in UP) में कमी जरूर आई है, लेकिन उसका असर ये हुआ है कि राज्य में बड़ी नोटों की जगह छोटी नोट ने ले ली हैं. यूपी में बीते कुछ वर्षों में 10 से लेकर 100 रुपए की जाली नोट सबसे अधिक पकड़ी गई है. जांच एजेंसियों की मानें तो पाकिस्तान, नेपाल व बांग्लादेश से नोटों की तस्करी में कमी आई तो देश के अंदर ही जाली नोटों को छापने का धंधा शुरू हो गया है.
राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2019 से 2021 तक देश में 10, 20, 50 व 100 की जाली नोट सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में बरामद की गई है, जबकि 500 और 2000 की नोट की बरामदगी काफी कम हुई है, हालांकि यूपी के बाद गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी इन छोटी जाली नोटों को काफी संख्या में केंद्रीय व राज्य एजेंसियों ने पकड़ा है. इसके पीछे के कारणों पर नजर डालने से पहले यह जानते हैं कि यूपी में कब, कितनी जाली नोट बरामद की गई है.
साल 2020 में उत्तर प्रदेश में 10 की 931, 20 की 35, 50 की 944 और 100 की 5484 जाली नोट बरामद की गई थी, जो इस साल देश के सभी राज्यों से कहीं अधिक मात्रा थी, वहीं साल 2021 में 10 की 136, 20 की 183, 50 की 518 और 100 की 15137 जाली नोट बरामद की गई थी, जबकि यूपी के बाद गुजरात, गोवा और आंध्र प्रदेश में छोटी जाली नोट सबसे अधिक बरामद हुई थी. यूपी में साल 2020 में कुल 18,449 और 2021 में 21,014 नोट बरामद हुई.
पूर्व डीजीपी बृजलाल भी मानते हैं कि 'अब अपराधी जाली नोटों के लिए छोटी मुद्रा पर अधिक भरोसा रख रहे हैं. इसके पीछे का कारण साल 2007 में यूपी पुलिस व एसटीएफ द्वारा पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांग्लादेश व पाकिस्तान से आने वाली जाली नोटों की खेप पर लगाम लगाई. बची कसर 2016 मे पीएम मोदी ने नोट बंदी कर पूरी कर दी. पूर्व डीजीपी कहते हैं कि पाकिस्तान देश नेपाल व बांग्लादेश के रास्ते जो जाली नोट भेजता है वह पहले 1000 और 500 के होते थे और नोट बंदी के बाद 2000 व 500 के होते हैं. उन्हें उसी नोट से फायदा होता था'.