उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

इन वफादारों ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ, उठ रहे ये सवाल

2022 के विधानसभा के चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी सियासी जमीन को मजबूत करने में लगी हैं. कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में लगातार अपनी जमीन मजबूत करने में लगी है. मगर फिर भी उसके अपनी पार्टी के वफादार ही कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. इन वफादारों में कई नाम हैं. मगर हाल ही में उन्नाव से कांग्रेस का चेहरा मानी जाने वाली अनु टंडन ने भी कांग्रेस से रिश्ता तोड़ लिया है.

erv bharat
वफादारों ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ

By

Published : Oct 29, 2020, 8:24 PM IST

Updated : Oct 30, 2020, 9:59 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश समेत देशभर में जमीन पर आ चुकी कांग्रेस भले ही फिर से उठने के लाख प्रयास कर रही हो, लेकिन उसके अपने वफादार ही साथ छोड़ रहे हैं. इससे कांग्रेस की सियासी जमीन कमजोर ही पड़ती जा रही है. साल भर में कांग्रेस के कई वफादारों ने हाथ का साथ छोड़ विभिन्न दलों का दामन थाम लिया है. इन वफादारों में सबसे खास अमेठी से संजय सिंह का नाम है और अब उन्नाव से कांग्रेस का चेहरा मानी जाने वाली अनु टंडन भी कांग्रेस से रिश्ता तोड़ चुकी हैं, ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व पर भी सवाल उठ रहे हैं.

वफादारों ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ
इन वफादारों ने किया पार्टी से किनारा
कांग्रेस पार्टी से पिछले 15 सालों से जुड़ी रहीं पूर्व सांसद अनू टंडन ने गुरुवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए हाथ का साथ छोड़ दिया. अनू टंडन के अलावा कुछ ही दिन पहले कांग्रेस की तरफ से प्रदेश महासचिव नियुक्त किए गए अंकित परिहार ने भी 50 पदाधिकारियों के साथ हाथ का साथ छोड़ा. इससे पहले भी कांग्रेस को समय-समय पर झटके पर झटके लगते रहे हैं.
अनु टंडन
संजय सिंह ने छोड़ा साथ
जुलाई 2019 में कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे संजय सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस ने उन्हें असम से राज्यसभा सांसद बनाया था. वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं. अमेठी में संजय सिंह के रहते कांग्रेस पार्टी काफी मजबूत थी. संजय सिंह ने पार्टी छोड़ी थी तो उन्होंने कहा था कि कांग्रेस अभी भूतकाल में है भाजपा का समय है. इसके बाद उन्होंने हाथ से हाथ जोड़ लिए.
संजय सिंह,
दिनेश सिंह ने भी कमजोर किया हाथ
रायबरेली से विधान परिषद सदस्य दिनेश सिंह ने भी कांग्रेस से किनारा कर पार्टी के किले को ही कमजोर कर दिया. रायबरेली में दिनेश सिंह के भरोसे ही कांग्रेस की काफी मजबूती थी, लेकिन उन्होंने भी हाथ से किनारा कर भाजपा का साथ पकड़ लिया. इतना ही नहीं वे सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव मैदान में भी उतर पड़े थे और यहां से उनके ही भाई और कांग्रेस से विधायक राकेश सिंह भी उनके साथ थे, ऐसे में पार्टी ने राकेश सिंह को भी बाहर कर दिया. यहां पर कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ.
दिनेश सिंह
बगावत पर आमादा विधायक अदिति सिंह
रायबरेली से कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह लगातार पार्टी से ही बगावत कर रही हैं. प्रदेश की योगी सरकार ने जब विधानसभा सत्र बुलाया था तो कांग्रेस ने इस सत्र में हिस्सा लेने से अपने सभी नेताओं को मना कर दिया था, लेकिन विधायक अदिति सिंह सत्र में शामिल होने पहुंच गई थीं. इसके बाद पार्टी की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. इतना ही नहीं लगातार कांग्रेस में रहते हुए भी वे कांग्रेस के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही हैं. इससे कांग्रेस उन्हें अपना मान ही नहीं रही है.
अदिति सिंह
धूराम लोधी को भी रास न आई कांग्रेस
हमीरपुर से विधायक रहे चौधरी धूराम लोधी ने भी कांग्रेस से कुछ माह पहले ही किनारा कर लिया. वे कुछ माह पहले ही पार्टी में प्रदेश महासचिव बनाए गए थे. उन्हें कांग्रेस पार्टी का साथ रास नहीं आया इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
धूराम लोधी
अपने हो रहे पराए, कमजोर हो रही पार्टी
कांग्रेस के नेताओं से ही कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में काफी मजबूती मिली थी, लेकिन इन पर कांग्रेस ने ही कोई ध्यान नहीं दिया. ऐसे में इन्होंने भी कांग्रेस को छोड़ना ही बेहतर समझा. जिस तरह से लगातार कांग्रेस से उसके 'अपने' पराए हो रहे हैं उससे निश्चित तौर पर आने वाले दिनों में कांग्रेस मजबूत होने के बजाय और भी कमजोर नजर आ सकती है.
Last Updated : Oct 30, 2020, 9:59 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details