हैदराबाद/लखनऊःयूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए जहां विपक्षी दल वर्तमान भाजपा सरकार की नाकामियां उजागर कर सत्ता हासिल करने में जुटी हुई हैं. वहीं, विधानसभा चुनाव से करीब 6 महीने पहले योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार कर यूपी की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है. प्रदेश की योगी सरकार ने रविवार को जिन नए चेहरों को शामिल किया है, एक को छोड़कर बाकि सभी पिछड़े वर्ग से आते हैं.
राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधान चुनाव से जातीय समीकरण साधने के लिए भाजपा ने यह सियासी चाल चली है. योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 2 दलित, 2 अति पिछड़े, 1 पिछड़ा वर्ग, 1 अनुसचित जाति और 1 ब्राह्मण चेहरे को स्थान मिला है. जातीय आधार पर योगी सरकार ने मंत्रिमंडल विस्तार करके प्रदेश में कुर्मी समाज के 4, दलित 20, पिछड़ा वर्ग 45, जनजाति 1 और ब्राह्मण समाज के 15 फीसद वोटरों को साधने की कोशिश की है.
जितिन प्रसाद के सहारे ब्राह्मणों को मनाने की कोशिश
माना जा रहा है कि योगी सरकार से नाराज ब्राह्मण समाज को मनाने के लिए कांग्रेस के कद्दावर नेता जितिन प्रसाद को मंत्री पद सौंपा है. क्योंकि प्रदेश में करीब 15 फीसद ब्राह्मण मतदाता हैं, जो विधानसभा में चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. ब्राह्मण समाज किसी दूसरी पार्टी के समर्थन में न आए इसिलए भाजपा ने यह सियासी दांव चला है. गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, अयोध्या, संत कबीर नगर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, कानपुर, प्रयागराज, उन्नाव, कन्नौज, भदोही, झांसी, मथुरा, चंदौली जिलों में ब्राह्मणों की संख्या अच्छी है. इन जिलों में चुनाव को ब्राह्मण प्रभावित करने की स्थिति में हैं. लिहाजा भाजपा को 2022 में सत्ता में वापस लाने के लिए जितिन प्रसाद पर यह दांव योगी सरकार ने चला है.
दिनेश कुमार और पलटू राम के सहारे दलित कार्ड खेला
यूपी में दलित वोटर किसी भी चुनाव में निर्णायक माना जाता है. क्योंकि प्रदेश में करीब 20.7 फीसदी दलित आबादी है. इसलिए भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बलरामपुर सदर से विधायक पलटू राम और मेरठ के हस्तिनापुर विधानसभा सीट से विधायक दिनेश कुमार खटीक को मंत्री पद से नवाजा गया है. बता दें कि यूपी में दलित मतदाताओं की हिस्सेदारी करीब 21 प्रतिशत है. वहीं, क्षेत्रीय आधार पर देखे तो ये बुंदेलखंड की कुल आबादी में 25 पर्सेंट दलित हैं. दोआब-अवध में दलितों की आबादी 26 पर्सेंट और पूर्वी यूपी में 22 पर्सेंट है. वेस्टर्न यूपी में भी जाटव विरादरी की धमक करीब 12 सीटों पर है. आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 42 ऐसे जिले हैं, जहां दलितों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है. इन्हीं जातीय समीकरण को देखते हुए भाजपा ने दलित कार्ड चलते हुए समाज के दो चेहरों को जगह दी है.