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नई शिक्षा नीति से रोजगार परक शिक्षा को मिला महत्व: दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव को लेकर सूबे में सियासी पारा चढ़ चुका है. भाजपा के दिग्गज नेता पिछले पांच सालो के कामों को लेकर गांग गांव शहर शहर पहुंच कर खुले मंच पर चर्चा कर रहे हैं. योगी सरकार 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती. साथ ही समाज के हर क्षेत्र के विकास के लिए नई रणनीति और नई नीति का दावा कर रही है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की नई शिक्षा नीति को लेकर भी सरकार नए रोजगार के दावे कर रही है. इस मुद्दे पर यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की. इस बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस नीति से युवाओं के लिए एक रोजगारपरक शिक्षा को महत्व मिला है.

डिप्टी सीएम के साथ खास बातचीत
डिप्टी सीएम के साथ खास बातचीत

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Published : Aug 13, 2021, 11:33 AM IST

Updated : Aug 13, 2021, 11:41 AM IST

लखनऊ:उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सभी दलों में हलचल तेज हो गई हैं. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी भी मैदान में उतरने के लिए अपनी तैयारी में जुटी हुई है. रोजगार, विकास, बिजली, पानी जैसे मुद्दों के साथ ही यूपी सरकार नई शिक्षा नीति पर भी आगे बढ़ कर रोजगारपरक शिक्षा देने का दावा कर रही है. ईटीवी भारत ने भी उनसे आगामी सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले बदलावों पर बात की. डिप्टी सीएम ने कहा कि हमें गर्व है कि उत्तर प्रदेश में सबसे पहले नई शिक्षा नीति लागू हुई है.

उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति से रोजगारपरक शिक्षा को महत्व मिला है, साथ ही इस नीति के लागू होने के बाद कई सकारात्मक भी बदलाव होगें. उन्होंने बताया कि अब एक विद्यालय का विद्यार्थी दूसरे विद्यालय में एडमिशन लेने जाएगा, तो उसके लिए भी क्रेडिट ट्रांसफर का सिस्टम मौजूद होगा. साथ ही इस नीति के बाद तमाम प्रकार के शोध के प्रकल्प भी सरकार शुरू कर चुकी है.

डिप्टी सीएम के साथ खास बातचीत

दिनेश शर्मा ने कहा कि इस शिक्षा नीति के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त विद्यालय के पदों पर भर्तियां शुरू हो गई हैं. उन्होंने कहा कि बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में लगभग एक लाख पचास हजार भर्तियां में हो चुकी हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सबसे ज्यादा भर्तियां यदि कहीं हुई हैं, तो वह शिक्षकों की हैं.

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बता दें कि राज्य सरकार ने क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को नई शिक्षा नीति में प्रस्तावित विषयों पर वर्चुअल कांफ्रेंस कराने के निर्देश दिए थे. साथ ही उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए सभी संबंधित विभागों की स्टीयरिंग कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे.

उन्होंने कहा था कि इस नीति के लागू होने से लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का प्रभाव खत्म हो जाएगा. उन्होंने कहा था कि राज्य में नई शिक्षा नीति के पूरी तरह से लागू होने के बाद भारत के विश्वविद्यालय विदेशों में भी अपने कैंपस खोल सकेगें और विदेशी विश्वविद्यालय भारत में अपने कैम्पस खोल सकेगें. उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने बताया था कि इस नीति के तहत सभी श्रेणी और वर्गों के छात्र-छात्राओं को समान शिक्षा मिलेगी. उन्होंने कहा था कि इस नीति के लागू होने के बाद नए रोजगार की असीमित संभावनाएं बनेंगी.

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बता दें कि इस नीति को अमली जामा पहनाने के लिए स्टीयरिंग कमेटी का गठन भी किया गया था. उस वक्त इसके कार्य में तेजी लाने के लिए अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस. गर्ग को इस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. वहीं, इस कमेटी में CBSE के पूर्व अध्यक्ष अशोक गांगुली, माध्यमिक शिक्षा विभाग के पूर्व सचिव संध्या तिवारी, विनय कुमार पाठक, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद के पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार, राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष महेश चंद्र पंत, बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह, NSDC के पूर्व सीईओ जयंत कृष्णा, करियर काउंसलर अमृता दास, SHEF की डॉ. उर्वशी साहनी और माध्यमिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव को भी पदेन सदस्य बनाया गया था.

Last Updated : Aug 13, 2021, 11:41 AM IST

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