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किसानों की समस्याओं पर क्या बोले अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

यूपी के अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी से ईटीवी भारत के संवाददाता ने विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि  किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का जो विजन है, उसके तहत नीतियां बनाईं जा रही हैं. इतना ही नहीं उनका क्रियान्वयन भी हो रहा है.

अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी से खास बातचीत.
अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी से खास बातचीत.

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Published : Dec 4, 2020, 7:26 PM IST

लखनऊ: प्रदेश में ज्यादातर किसान केवल धान, गेहूं और गन्ना जैसी फसलों को उगाते हैं. दलहन, तिलहन और मोटे अनाज खेतों से दूर जा रहे हैं. फसल तैयार होने के बाद किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. ऐसी तमाम समस्याओं का सरकार के पास क्या हल है ? इन सब मुद्दों पर यूपी के अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी से खास बातचीत.
ईटीवी भारत से बात करते हुए वह कहते हैं कि किसानों की आय को बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ का जो विजन है, उसके तहत नीतियां बना रहे हैं. उनका क्रियान्वयन भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने तीन कृषि सुधार किए थे, उससे पहले ही उन लोगों ने मंडी में कई सुधार किए थे. उदाहरण के रूप में 45 फल सब्जियों पर से मंडी टैक्स खत्म कर दिया था. यह इसलिए किया गया क्योंकि किसान अपनी फसल सीधे ग्राहकों को बेंच सकें और उन्हें मुनाफा हो सके. केंद्र सरकार के कृषि सुधारों के आने के बाद राज्य सरकार ने मंडी शुल्क को दो से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया है.

पराली का भी सरकार कर रही समाधान
परानी जलाने के सवाल पर अपर मुख्य सचिव कृषि ने बताया कि अन्य प्रदेशों से अगर तुलना करें तो पराली जलाने की उत्तर प्रदेश में बहुत कम घटनाएं हुई हैं. उत्तर प्रदेश में करीब चार हजार घटनाएं पराली जलाने की हुई हैं, यह अन्य प्रदेशों की तुलना में काफी कम हैं. देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि यूपी में करीब 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की फसल है. इसको ध्यान में रखते हुए पराली जलाने की घटनाओं का आकलन किया जाए तो यह बहुत ही कम हैं, लेकिन फिर भी यह भी ना हो इसके लिए बहुत सारे प्रयास किए गए हैं. अपर मुख्य सचिव कृषि ने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए कृषि यंत्र किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं. ग्राम पंचायतों को, सहकारी समितियों को, गन्ना समितियों को कृषि यंत्र बांटे गए हैं, जिससे कि सस्ती दरों पर किसान इसका उपयोग कर सकें.

पराली से बायोफ्यूल बनाने पर हो रहा काम
पराली से बायोफ्यूल बनाने की योजना के सवाल पर एसीएस देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि पराली का उपयोग करके बायोफ्यूल तैयार करने की नीति है. इसके लिए भारत सरकार ने भी एक कदम आगे बढ़ाया है. इंडियन ऑयल कारपोरेशन ने बड़ी संख्या में कंपनियों को लाइसेंस दिए हैं कि वे पराली और अन्य बायोमास का उपयोग कर बायोगैस कंप्रेस बनाएंगे. उन कंपनियों के साथ विचार-विमर्श करके यह भी सुनिश्चित किया गया है कि वह तेजी से उत्तर प्रदेश में प्लांट लगाएं ताकि किसान संगठित रूप से उन कंपनियों को पराली उपलब्ध कराएं. किसानों की इनकम हो और पराली का भी प्रबंधन हो, इस पर तेजी से काम हो रहा है.

कीटनाशक दवाओं की समस्या भी मिलेगी निजात
उत्तर प्रदेश में इंडिया बड़े हिस्से में भूमि लेकिन वह फसलों पर उतना खराब असर नहीं डाल सकीं. स्थानीय प्रशासन की चौकसी के चलते वह नुकसान नहीं कर सकीं. जहां तक कीटनाशक दवाइयों के असरकारक होने की बात है तो उनमें गुणवत्ता होनी चाहिए. घटिया दर्जे का कीटनाशक बेचने वालों के खिलाफ भी अभियान चलाया गया है। लगातार छापे मारे जा रहे हैं। प्रतिबंधित वैरायटी के अगर कीटनाशक मार्केट में पाए जाते हैं। तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।

प्रत्येक किसान का धान खरीदेगी सरकार
एसीएस देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की फसल की खरीद की जाए इसको लेकर सरकार के स्तर पर नियमित समीक्षा की जा रही है. जिले स्तर पर भी इसकी समीक्षा हो रही है. कहीं पर यदि कोई शिकायत मिलती है तो उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा रही है. इस वर्ष पिछले साल की तुलना में डेढ़ गुना खरीद की जा चुकी है. पिछले साल प्रदेश भर में तीन हजार धान के क्रय केंद्र थे, वहीं इस वर्ष चार हजार धान क्रय केंद्र हैं. इस बार कोई लक्ष्य नहीं रखा गया है, जितना भी धान होगा सब की खरीद सरकार करेगी. कोई भी किसान वापस नहीं लौटेगा, उसका धान खरीदा जाएगा.

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