लखनऊ: भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी इन दिनों प्रदेश सरकार की ओर से किए गए वादे को पूरा न करने से खासी नाराज है. वहीं पंचायत चुनाव में भी उनसे कोई सलाह नहीं ली गई है, इसलिए अब पंचायत चुनाव में निषाद पार्टी भी अपने उम्मीदवार उतारेगी. निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि निषादों का गौरवशाली इतिहास रहा है. निषाद समाज ने देश को आजाद कराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, तो राम को भी पार उतारा है.
उन्होंने कहा कि निषाद राज के नाम पर सरकार पार्क तो बना रही है, लेकिन वहीं निषादों के साथ जातियों को अनुसूचित जाति के आरक्षण के वादे को नहीं पूरा किया गया. वहीं मझवार जाति पहले आरक्षण अनुसूचित जाति में था, लेकिन मायावती के द्वारा इस जाति के खिलाफ स्टे लगाया गया है. वहीं सरकार चुप बैठी है. भारतीय जनता पार्टी ने वादा किया था कि वह उन्हें आरक्षण दिलाएंगे. आखिर वह अपना वादा कब पूरा करेंगे. अब तो 4 साल सरकार को गुजर गए. वहीं अब 13 जनवरी को गोरखपुर में निषादों का बड़ा सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जिसमें बड़े फैसले लिए जाएंगे.
वादा पूरा न होने पर अलग हो सकती है राहें
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल के रूप में निषाद पार्टी ने चुनाव लड़ा था. निषाद पार्टी उत्तर प्रदेश की लगभग 150 सीटों पर अपना प्रभाव रखती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में निषाद पार्टी ने भाजपा को जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. वहीं बिहार के विधानसभा चुनाव में भी निषाद पार्टी ने बीजेपी को जिताने में अपनी भूमिका अदा की. अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद बीजेपी से उनकी 7 जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलाने के वादे को पूरा न किए जाने से नाराज हैं.