लखनऊ :तपती गर्मी में डिहाइड्रेशन होना आम बात है, ऐसे में हर जगह डिब्बा बंद शीतल पेय पदार्थ उपलब्ध होते हैं, जिन्हें लोग गर्मियों में आमतौर पर खरीद कर पीते हैं. गर्मी का मौसम आते ही डिब्बा बंद पेय पदार्थों की मांग बढ़ जाती है. तपते मौसम में यह लोगों को राहत देते हैं, लेकिन ये आपकी दिन भर की चीनी उपयोग की सीमा को भी पार कर देते हैं. इन्हें एक दिन पीना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन बार-बार सेवन हानिकारक हो सकता है.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एमएम पांडे ने बताया कि 'जितने भी तरल पदार्थ होते हैं. उन्हें बनाने के लिए तमाम तरह के रसायनिक तत्वों का इस्तेमाल किया जाता है, यहां तक की इनमें सुगंध और टेस्ट के लिए भी केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है. कई बार इन केमिकल्स की मात्रा अधिक हो जाने के कारण लोगों की जान पर बन आ जाती है, क्योंकि इनमें तमाम रसायनिक पदार्थ होते हैं. जिनका सेवन अत्याधिक करने के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक होने का दावा करने वाली कंपनियों के विज्ञापनों से प्रभावित न हों. डिब्बा बंद पेय के अधिक सेवन से मोटापा और मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है. घर का बना पेय और साबुत फल इससे बेहतर होते हैं.'
उन्होंने कहा कि 'फल, कोल्ड कॉफी समेत कई पेय से लेकर छाछ और जलजीरा जैसे नमकीन पेय तक मौजूद हैं, लेकिन इनके टेट्रा पैक या बोतल बंद पेय सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. केवल संतरा जूस के 200 मिलीलीटर के टेट्रा पैक के सेवन से 25 ग्राम चीनी की मात्रा शरीर में पहुंच सकती है जो दैनिक स्वस्थ चीनी सीमा को पूरा करती है. उन्होंने कहा कि बाजार में बिकने वाले लगभग सभी तरल पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियां यह दावा करते हैं कि उसमें सभी तत्व सही रूप से हैं. कई बार हम देखते हैं कि फूड सेफ्टी अधिकारी कंपनियों में छापेमारी करते हैं और उस कंपनी को सील करते हैं जो फूड सेफ्टी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मानक के अनुरूप खाने योग्य पदार्थ नहीं होते हैं. लोकप्रिय फल पेय अक्सर खुद को स्वस्थ पेय के रूप में विज्ञापित करते हैं, लेकिन आम का जूस बनाने वाली कंपनी की बात करें तो उपभोक्ता यह जानना चाहेंगे कि वास्तव में आम के गूदे का कितना उपयोग किया गया है. इन्हें पैकिंग में फलों के गूदे के प्रतिशत का उल्लेख करना चाहिए.'