लखनऊ: कोरोना काल में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को वार्षिक एवं सेमेस्टर परीक्षाओं से राहत मिल सकती है. प्रदेश सरकार ने बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रमोट करने का फार्मूला तलाशने का काम शुरू कर दिया है. इसके लिए शासन की तरफ से तीन सदस्य समिति का गठन किया गया है. जिसमें, छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय और बरेली के रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर कृष्ण पाल सिंह शामिल हैं. इस समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 7 दिन का समय दिया गया है.
यूजीसी ने भी विश्वविद्यालयों को दी छूट
कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालातों को देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने परीक्षाओं के संबंध में विश्वविद्यालयों को छूट दी है. विश्वविद्यालयों को स्थानीय स्थिति की समीक्षा करते हुए परीक्षा कराने या न कराने के संबंध में फैसला लेने को कहा गया है. आयोग ने साफ किया है कि विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस संस्थान है. इसलिए इन मुद्दों पर वह अपने स्तर पर फैसला कर सकते हैं. अंतिम वर्ष के छात्रों को छोड़ कर सभी अन्य को राहत मिल सकती है.
विश्वविद्यालयों में नहीं होंगी परीक्षाएं, विद्यार्थियों को प्रमोट करने के लिए समिति बनी - विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
यूपी के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षाओं के प्रमोट करने का फार्मूला तलाशने के लिए सरकार ने समिति का गठन किया है. समिति 7 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.
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लखनऊ और गोरखपुर विश्वविद्यालय पहले ही कर चुके घोषणा
शासन ने भले ही अभी प्रक्रिया शुरू की है. लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के कई राज्य विश्वविद्यालय अपने स्तर पर पहले ही परीक्षा ना कराने का प्रस्ताव तैयार कर चुके हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय की ओर से 20 दिन पहले ही यह प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है. वहीं, गोरखपुर के पंडित दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की ओर से बिना परीक्षा के छात्रों को प्रमोट करने की तैयारी की जा रही है. 20 मई को इस पर फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है.