लखनऊ :उत्तर प्रदेश में हर साल पांच हजार से अधिक बच्चे प्यार में पड़कर, तनाव या फिर पढ़ाई से पीछा छुड़ाने के लिए घर से भाग रहे हैं. राजधानी की पुलिस व बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करने वाले राज्य बाल संरक्षण आयोग गुमशुदा बच्चों की तलाश के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने बीते डेढ़ साल में 2764 बच्चों की तलाश की है. करीब 56 प्रतिशत गुमशुदा बच्चे अलग-अलग राज्यों में पाए गए.' बीते दिनों राजधानी में ऑपरेशन मुस्कान के तहत बरामद 284 बच्चों से पूछताछ में उनके भागने के कारण सामने आए हैं.
27 सितंबर 2022 को वाराणसी की रहने वाली दो सगी बहनें, जिसमें एक 13 साल की थी व दूसरी 10 साल की, ट्रेन में बैठकर घर से भाग गईं. राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचीं तो छोटी बहन रोने लगी. जिसे देख जीआरपी ने चाइल्ड हेल्पलाइन से संपर्क किया और दोनों को आशा ज्योति केंद्र ले जाया गया. पूछताछ में पता चला कि बड़ी बहन किसी लड़के से फोन पर बात करती थी. घरवालों ने स्कूल भेजना बंद कर दिया, बड़ी बहन की सजा छोटी बहन को भी मिली और दोनों पर घर से बाहर जाने पर पाबंदी लग गई. बस एक रात दोनों ने घर से निकलने का प्लान बनाया और बिना टिकट लिए ट्रेन पर बैठ गईं.
10 जुलाई 2018 को हरदोई के रहने वाले एक व्यापारी का 11 साल का इकलौता बेटा अचानक घर से कहीं चला गया. सात महीने बाद उसे दिल्ली से बरामद किया गया. बाल कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था बचपन ने जब बच्चे से बात की तो उसने बताया कि वह परीक्षा में फेल हो गया तो घर में पापा ने पिटाई की. इसके अलावा उसकी एक की जगह दो ट्यूशन लगा दी गई, जिससे नाराज होकर वो घर से भाग गया.
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 और 2021 के दौरान देश भर में 71225 नाबालिग बच्चे गायब हो गए थे. जिसमें 16249 बालक व 54962 बालिका शामिल हैं, वहीं अब तक कुल 108842 बच्चे गायब हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश की बात करें तो 2020-21 में 3522 बच्चे गायब थे. इनमें 1354 बालक व 2168 बालिकाएं शामिल हैं. पुलिस की ओर से 2764 बच्चों को बरामद किया गया. इसमें से ऑपरेशन मुस्कान के तहत 415 बच्चे बरामद किए गए. पुलिस विभाग की ओर से जब बातचीत की गई तो 185 बच्चों ने बताया कि स्वजन ने उन्हें डांटा, जिसके कारण तनाव में आकर वह भाग गए. इसके अलावा 45 बच्चे पारिवारिक विवाद, 30 बच्चे बिछड़ गए, 86 बच्चे पढ़ाई के कारण व अन्य बच्चे प्यार व तनाव जैसे कारणों की वजह से भाग गये थे.
उत्तर प्रदेश बाल अधिकारी संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ सुचिता चतुर्वेदी कहती हैं कि अधिकतर एकल परिवार में माता-पिता दोनों ही नौकरी में रहते हैं, जिस कारण बच्चों को न के बराबर समय दे पाते हैं. ऐसे में बच्चों को न ही वो प्यार मिल पाता है और न ही अपनी बात किसी से कह पाते हैं. जिस कारण वो कहीं और ही प्यार ढूंढने लगते हैं. इसी वजह से नाबालिक बच्चों के पलायन में तेजी आई है.
सुचिता कहती हैं कि बच्चों के पलायन के पीछे के कारणों में कोरोनाकाल में स्कूल बंद होने से बच्चों का रूटीन बिगड़ना, मानसिक कठिनाई के समय में बच्चों को माता-पिता व शिक्षकों का पूरा साथ नहीं मिल पाना, बीमार स्वजन के बारे में लगातार सुनने व करीबी जन की मौत से उत्पन्न असुरक्षा की भावना, शारीरिक सक्रियता में कमी, स्क्रीन पर अधिक समय बिताना व अनियमित नींद, अधिक समय तक का अकेलापन भविष्य की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के लिए खतरा होना खास है.