लखनऊः संगठन को मजबूती देने के लिए प्रियंका गांधी लगातार पार्टी के नेताओं के साथ बैठक कर रही हैं. वे लगातार कार्यकर्ताओं से मिल रही है. इसके बावजूद इसके वे अपने ही नेताओं को पार्टी में रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है. लगातार पार्टी के नेता कांग्रेस का हाथ छोड़कर दूसरी पार्टियों के साथ खड़े हो रहे हैं. ऐसे में प्रियंका गांधी की रणनीति पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. आखिर ऐसी क्या वजह है कि पार्टी के नेता हाथ पकड़े रहने के बजाय हाथ झटक रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की सियासत में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर रेस में आने के लिए जद्दोजहद कर रही है. 32 सालों से पार्टी उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर है. इस बार राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने हाथ में कमान ले रखी है और वे लगातार कोशिशें भी कर रही हैं कि कांग्रेस को यूपी में जीत की संजीवनी मिल जाए. लेकिन प्रियंका गांधी के अरमानों पर उनके अपने ही नेता पानी भी फेर सकते हैं. लगातार जिस तरह से प्रियंका गांधी का साथ छोड़कर बड़े नेता दूसरी पार्टियों के साथ जा रहे हैं. उससे प्रियंका गांधी की उम्मीदों पर पानी भी फिर सकता है. कांग्रेस के पूर्व सांसद राजा रामपाल ने पार्टी को अलविदा कह दिया है और वे हाथ का साथ छोड़कर अखिलेश के साथ साइकिल पर सवार हो गए हैं. इससे पहले हाल ही में औरंगाबाद घराने के पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी ने भी हाथ का साथ छोड़ दिया था. इतना ही नहीं पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी भी कांग्रेस से अलविदा कह चुके हैं. विनोद चतुर्वेदी भी कांग्रेस का हाथ छोड़ सपा के साथ हो लिए हैं. यह सिलसिला लगातार जारी है. अभी कुछ और नेताओं के दूसरी पार्टी में जाने की तैयारी है.
पूर्व सांसद राजाराम पाल के बाद अब कुछ और नेताओं के कांग्रेस छोड़कर जाने की चर्चाएं पार्टी के बीच आम हो रही हैं. हालांकि ये नेता कब कांग्रेस छोड़ दूसरी पार्टी का दामन थामेंगे, यह कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन जैसे ही किसी पार्टी में इनका काम बनेगा उनके कदम उस ओर बढ़ जाएंगे. इन नेताओं में पश्चिम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए मजबूत माने जाने वाले इमरान मसूद पहला नाम है. इसके बाद पार्टी के वर्तमान विधायक नरेश सैनी, पूर्व विधायक बंसीलाल पहाड़िया, पंकज मलिक और पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर तक का नाम चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है.