रायपुर : हिन्दी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है. 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह फैसला लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी. इस महत्वपूर्ण फैसले के बाद हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये राजभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर वर्ष 1953 से14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है. भाषा और बोली ही भारत को एक-दूसरे से बांधे रखती हैं. कहते हैं भाषा मां है तो बोली मौसी.
इस रिश्ते के बारे में क्या कहते हैं भाषाविद चितरंजन कर-
जब भाषा को शब्दों की कमी पड़ती है तो उसे नए शब्द लेने पड़ते हैं तो वह बोलियों के पास जाती हैं और उनसे शब्द उधार लेती हैं. ये कहना है हिंदी के जाने-माने साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का. वे कहते हैं कि, 'हिंदी इतनी समृद्धता और विविधता लिए हुए है तो इसके पीछे कहीं न कहीं अपनी बहनों जिसे हम बोलियां कहते हैं, उन्हीं की बदौलत.'
विनोद कुमार शुक्ल कहते हैं कि, 'अलग-अलग क्षेत्रों में हमारे यहां कई तरह की बोलियां मौजूद हैं. इनमें अवधी, भोजपुरी, ब्रज, छत्तीसगढ़ी, बुदेली, बघेली, मालवी, मेवाती, पहाड़ी जैसी कई बोलियां हैं. ये सभी हिंदी पट्टी में बोली जाने वाली प्रमुख बोलियां हैं. इन्हीं बोलियां की बदौलत हिंदी के पास समृद्ध भाषा कोष है. हिंदी को समझने वालों की तादाद बढ़ती है.'