लखनऊ/नई दिल्ली :एपी सिंह, वो वकील हैं, जिन्होंने निर्भया के गुनहगारों का केस लड़ा था. ईटीवी भारत के दिल्ली स्टेट एडिटर विशाल सूर्यकांत ने महिला विरुद्ध अपराध और समाज की भूमिका को लेकर एडवोकेट एपी सिंह से खुली बहस की, जिसमें वो फिर महिला सुरक्षा के सवालों पर विवादों का पिटारा खोल गए.
परिवारों की निगरानी से ही रुकेंगे रेप, पुलिस या कोर्ट से नहीं
ईटीवी भारत पर तीखे सवालों के जवाब में, एपी सिंह एक के बाद एक कई विवादित बयान देते रहे. गोवा के मुख्यमंत्री के बयान का बचाव करते हुए एपी सिंह ने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री जनता के चुने हुए प्रतिनिधि हैं. गोवा की आय का सबसे बड़ा स्रोत पर्यटन है. पर्यटन में बच्चे व परिवार सब मिलकर घूमने जाते हैं. बच्चे पूरी रात कहां हैं, ये पता रखने की जिम्मेदारी मां-बाप की होती है. संस्कारों वाले परिवार की आवश्यकता है, जिससे रेप तभी रुक पाएंगे. मेरा ओपिनियन अपराध को नियंत्रण करता है.
सुनिए महिलाओं के लिए बनी चेकलिस्ट निर्भया मामले में दोषियों के वकील एपी सिंह से. क्या दिन की आजादी पर्याप्त नहीं, क्यों ज़रूरी है पूरी रात घूमना
महिलाओं की आजादी से जुड़े सवाल पर एपी सिंह ने बताया कि क्या दिन की आजादी पर्याप्त नहीं, क्यों ज़रूरी है पूरी रात में घुमते रहना. जब मेरी कोई दलील होती है, तो वो सिर्फ मेरी बात नहीं होती, वो इस देश के हर पीड़ित पिता की बात होती है. ये बताइए कि कौन बाप चाहता है कि उसका बेटा पॉक्सो केस में जेल में सड़े. कोई पिता ये नहीं चाहता, कोई चाचा, कोई ताऊ और कोई मां नहीं चाहती कि बेटा पॉक्सो केस में जेल में सड़ता रहे. ऐसे में समाज को बदलने की जरूरत है.
किसी न किसी को तो करनी ही थी निर्भया के दोषियों की पैरवी
एपी सिंह ने निर्भया केस में दोषियों की ओर से पैरवी करने की आलोचना से जुड़े सवाल पर कहा कि सरकार को आतंकवादियों को भी वकील देने पड़ते हैं. बिना वकील के कोर्ट प्रोसिड नहीं हो पाती है, विषय यह है कि क्या निर्भया की फांसी की सजा के बाद, इस देश में रेप बंद हो गए. महिलाएं सुरक्षित हो गईं, झूठे केस लगना बंद हो गए. नहीं... समाज को दिशा देने के लिए जजमेंट में लिखा जाता है कि सजा इसलिए जरूरी है कि समाज में संदेश जाए, लेकिन क्या ऐसा हुआ ?
इतनी इंटिमेसी ही क्यों बनाते हैं कि बाद में रेप की शिकायतें आएं
एपी सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि युवतियां इतनी इंटिमेसी ही न बनाएं कि बाद में रेप जैसे मामलों की शिकायतें आएं. अगर लोग समाज में लव-डे, हग-डे, किस-डे मनाएंगे, तो इसी प्रकार की विकृतियां रहेंगी, जिसे न तो मुख्यमंत्री बदल सकते हैं, न महिला आयोग और न ही पुलिस.
भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए बनी है चेक लिस्ट
देश में भारतीय संस्कृति की चेकलिस्ट बनी हुई है. बार, पब और रेस्टोरेंट जैसी चीजों की जगह नहीं है. हमारी संस्कृति में भाई दूज और रक्षाबंधन है. भारतीय पहनावे हैं, हमारे यहां बिकनी पहनकर घूमने की जगह नहीं है. एपी सिंह की दलील है कि देश में महिला आयोग है, मगर पुरुष आयोग नहीं बनाया गया. महिलाओं की सहायता के लिए महिला आयोग, महिला मंत्रालय, महिला हैल्पलाइन, महिला हेल्पडेस्क और स्पेशल कोर्ट हैं, लेकिन पुरुष के लिए क्या है. देश में क्राइम अगेंस्ट वूमन की चर्चा है, मगर क्राइम अगेन्स्ट मैन क्यों नहीं है.
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