लखनऊः कोरोना काल में उद्यमियों की स्थिति दिन प्रति दिन खराब होती जा रही है. ऐसे में एमएसएमई सेक्टर से मांग उठ रही है कि सरकार को उद्यमियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. उद्यमी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. अगर वे कमजोर पड़ेंगे तो अन्य चीजें भी प्रभावित होंगी.
व्यापार ठप है, लेकिन खर्चे जस के तस
सरकार ने कह रखा है कि उद्योग चलते रहेंगे, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि फैक्ट्रियों से उत्पादन होने वाले माल की बिक्री कहां की जाएगी. बाजार बंद होने की वजह से डिमांड न के बराबर है. जब डिमांड नहीं होगी तो उत्पादन करके क्या होगा. ऐसे में उद्यमियों पर भारी बोझ है. कर्मचारियों को वेतन देने का, जीएसटी, बिजली बिल, किराया समेत तमाम अन्य खर्चे जो व्यापार के दौरान भरे जाने से पता नहीं चलता. बंदी के दौरान यही सब पहाड़ जैसा लगता है. सरकार को इन सब चीजों पर छूट देनी चाहिए. उद्यमी राजेश कहते हैं कि इससे भी बड़ी बात ये है कि सरकार ने जो सुविधाएं देने की घोषणा कर रखी है, सरकारी तंत्र उसे भी नहीं मुहैया करा रहा है. उसमें भी अड़चने आ रही हैं.
सरकार को आगे आना होगा
स्मॉल इंडस्ट्री मैन्युफैक्चर एसोसिएशन (सीमा) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि कच्चा माल भी प्रभावित हुआ है. छोटे उद्यमी इससे काफी प्रभावित हो रहे हैं. इन सब समस्याओं के बावजूद उद्यमियों की सभी इकाईयां कोरोना की महामारी से लड़ने के प्रति प्रतिबद्ध हैं. सभी उद्यमी और उनके संगठन अपने स्तर से समाजसेवा का कार्य भी कर रहे हैं. जरूरतमंदों की मदद को आगे आए हैं. लेकिन हमारी समस्याओं का निपटारा करने वाला कोई नहीं है. सरकारी तंत्र बिल्कुल सहयोग नहीं कर रहा है.
बंदी की कगार पर प्रदेश के उद्योग