लखनऊःउत्तर प्रदेश के सहकारिता भवन सभागार में आयोजित विद्वत समाज सम्मेलन में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा सहित प्रदेश के कई बड़े प्रबुद्ध वर्ग के लोग शामिल हुए. भारतीय संस्कृतिक एवं समाज के उत्थान में विद्वतजनों की भूमिका विषय पर सभी ने अपने विचार रखे. राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि इस विद्वत समाज सम्मेलन में सभी वर्ग के लोग आए हैं. सभी क्षेत्रों के विद्वत जन आये हैं. सही मायनों में यह शुद्ध रूप से गैर राजनीतिक कार्यक्रम है. राज्यपाल कलराज मिश्र ने (बिना किसी दल का नाम लिए) कहा कि बहुत सारे लोगों ने प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन, ब्राह्मण वर्ग सम्मेलन के नाम पर एक जाति विशेष के नाम पर सम्मेलन रखा है. ऐसे सम्मेलन ब्राह्मण समाज को संकुचित करने की कोशिश है.
कलराज मिश्र ने कहा कि ब्राह्मण एक जाति नहीं है, बल्कि ब्राह्मण एक संस्कृति है. लोगों ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए प्रबुद्ध सम्मेलन करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि व्यापकता आत्मीयता की विशालता वाले को ब्राह्मण सही मायने में कहा जा सकता है. यहां सभी वर्ग के लोग इस सम्मेलन में आए हुए हैं.
राज्यपाल ने कहा कि सब के प्रति भाईचारा का नाता है हमारे यह पेड़ नदी पशु पूजे जाते हैं. भारत अकेला देश है जिसने विश्व बंधुत्व की परिकल्पना की, जिसकी उदात्त सोच होगी वही ब्राम्हण होगा. विद्वत समाज शब्दों के आडंबर में ढलकर चलने वाला समाज नहीं है. भगवान परशुराम ने दक्षिण में सबसे ज्यादा भ्रमण किया. पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण तक भगवान परशुराम ने भ्रमण किया और लोगों को एकजुट करने का संदेश दिया. समाज को कुछ अलग करने की दिशा में काम करने की जरूरत है. इस समय नैतिकता का ह्रास हुआ है. धार्मिक प्रवृत्ति का क्षरण हुआ है. लोग अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए तमाम तरह के सम्मेलन कर रहे हैं. ब्राह्मण समाज समाज को दिशा देने वाला है, वह विश्व बंधुत्व की बात करता रहा है.
विद्वत सम्मेलन में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि काल चक्र के अनुसार समय-समय पर सब लोग इस विद्वत समाज के लोगों को याद करने का काम करते हैं. समय काल के हिसाब से लोग याद आते हैं. 5 साल बाद ही एक विद्वत वर्ग याद आने लगता है. तमाम लोगों को जो ब्राह्मणों ने वेद ऋचाएं लिखी. आज उन्हीं का उच्चारण हो रहा है. उन्होंने कहा कि इतिहास के कालखंड में इस विद्वत समाज के सामने चुनौतियां हैं और चुनौतियां हमेशा आती रही हैं. यह समाज नरेशन बदल देता है. समाज को नई दिशा देता है नई ताकत देता है.
उन्होंने कहा कि यह विद्वत समाज की ताकत है कि जो लोग कल तक राम मंदिर से पहले तरह-तरह की बातें करते थे, राम के अस्तित्व को नकारते थे, आज वह राम की बात करने लगे हैं. वे कहते हैं कि हम मंदिर जल्दी बना देंगे. यह सब भी सबको ध्यान रखना होगा.