लखनऊ : पूर्वाेत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल के तहत आने वाले हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण का मुद्दा इन दिनों गर्माया तो लखनऊ मंडल के अधिकारियों को भी अपनी जमीनों पर हुआ कब्जा याद आया. अफसरों की लापरवाही के चलते रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे कर लोगों ने कच्चे पक्के घर बना लिए. सही समय पर इन बेशकीमती जमीनों को खाली करने के बजाय अफसर सोते रहे. या यूं कहें अफसरों को अवैध कब्जों की खबर तो थी, लेकिन जानबूझकर वे इससे बेखबर ही रहे. उत्तर रेलवे का लखनऊ मंडल हो या पूर्वाेत्तर रेलवे का. दोनों की बेशकीमती जमीनों पर बेशुमार कब्जे हैं. अनुमान के मुताबिक पांच से 10 फीसद तक खाली पड़ी जमीनों का अतिक्रमण है, लेकिन रेलवे अधिकारियों के पास जमीनों पर हुए अतिक्रमण का रिकॉर्ड तक नहीं है. कब्जा हुई जमीनों की कीमत सैकड़ों करोड़ है. अब अतिक्रमण की सूची बनाने की रेलवे अधिकारियों की तरफ से तैयारी की जा रही है.
उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे की खाली पड़ी जमीनों से लेकर रेलवे लाइन तक के किनारे सैकड़ों छोटे-बड़े कब्जे हैं. काम कराने के लिए रेलवे की तरफ से समय-समय पर अभियान चलाकर अतिक्रमण हटवाया भी जाता है. लखनऊ में डालीगंज, गोमतीनगर, मल्हौर, सीतापुर रूट पर इस तरह के अतिक्रमण हटाए भी गए. गोमतीनगर रेलवे स्टेशन के अपग्रेडेशन के आड़े आ रहे अतिक्रमण को भी आरपीएफ की मदद से हटाया गया, लेकिन मंडल के अन्य स्टेशनों के साथ ही ट्रैक किनारे तमाम छोटी बड़ी जमीनों पर कब्जे हैं. कच्चे तो छोड़िए पक्के निर्माण हो गए हैं. लखनऊ के ही मवैया क्षेत्र में रेलवे की ही जमीन पर लोगों ने पक्के निर्माण करा लिए. कहां कितने अवैध निर्माण हैं कहां अतिक्रमण है इसका किसी तरह का कोई रिकॉर्ड अभी तक अफसरों ने तैयार नहीं किया. उत्तर और पूर्वाेत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में ऐसी जमीनों का ब्यौरा ही तैयार नहीं है. अब रेलवे के लैंड सेल ने रेलवे की जमीनों पर अवैध कब्जों के रिकॉर्ड जुटाने शुरू किए हैं. इंजीनियरिंग विभाग के जिम्मेदार जमीनों के अतिक्रमण की सूची बनाने के लिए लगाए गए हैं. अब जब अतिक्रमण का रिकॉर्ड तैयार हो जाएगा तब जमीन खाली कराने के लिए आरपीएफ को लगाया जाएगा.