लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ही मुख्यमंत्री ने यह साफ कर दिया था कि अगर यूपी में रहना है तो गुण्डागर्दी छोड़नी पड़ेगी. इसके बाद प्रदेश में शुरु हुआ एनकाउंटरों का दौर, जिसे लेकर सरकार ने भी खूब वाहवाही लूटी. जिन एनकाउंटरों के सहारे सरकार कानून व्यवस्था सुधारने की कोशिश कर रही थी, दरअसल वही एनकाउंटर अफसरों के लिए कुर्सी बचाने का हथकंडा साबित हो रहे हैं.
पुलिस के एनकाउंटर पर उठे सवाल यूपी सरकार ने जब कानून व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पुलिस के हाथ खोले, तो प्रदेश में एक के बाद एक एनकाउंटरों का दौर शुरु हो गया. पुलिस अपराधियों को ढूंढ-ढूंढ कर उनका एनकाउंटर करने लगी. जब-जब जिले के कप्तान से लेकर लखनऊ में बैठे अफसरों की कुर्सी हिली तो ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए गए. पुलिस में एनकाउंटर के जरिए कुर्सी बचाने की होड़ सी मच गई और कई एनकाउंटर सवालों के घेरे में आ गए.
अबतक कितने हुए एनकाउंटर
उत्तर प्रदेश में मार्च 2017 से फरवरी 2019 तक हुए एनकाउंटरों पर नजर डालें तो अब तक कुल 3577 मुठभेड़ें हो चूकी हैं. इनमें एनकाउंटरों में कुल 7967 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है और 1023 बदमाश घायल हुए हैं. इन मुठभेड़ों में 73 अपराधी मारे गये हैं, 638 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और 5 पुलसकर्मी मारे भी गए. धीरे-धीरे इन ताबड़तोड़ एनकाउंटरों पर सवाल खड़े होने लगे. इसके चलते नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज) ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने मुठभेड़ों पर प्रदेश सरकार से जवाब मांग लिया. जिन एनकाउंटरों पर फर्जी होने के सवाल उठाये गए, उनमें से ज्यादातर पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुए हैं.
ये एनकाउंटर रहे विवादित
सबसे पहले 5 अक्टूबर 2018 को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुर्जर का एनकाउंटर विवादित हुआ और आरोप लगाया गया कि यह एनकाउंटर नहीं हत्या थी. उसके बाद नोएडा में एक दारोगा ने बहन की सगाई से लौट रहे जिम संचालक को गोली मार दी और उसे एनकाउंटर का रूप देने की कोशिश की. 10 अगस्त 2017 को बागपत के बड़ौत में मामूली फल विक्रेता इकराम का एनकाउंटर किया गया. पुलिस का दावा था कि फल विक्रेता इकराम लूट के सामान के साथ भागने की कोशिश कर रहा था. 12 सितंबर 2017 को पुलिस ने जेल में बंद शमशाद को एनकाउंटर में मार गिराया और पुलिस ने कहा कि उसने हिरासत से भागने की कोशिश की थी. वहीं परिवार वालों का कहना है कि शमशाद की सजा खत्म होने वाली थी, ऐसे में वह हिरासत से क्यों भागेगा.