लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों ने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को परिवहन निगम मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी समस्याओं के तत्काल समाधान करने की मांग की. साथ ही प्रबंधन को अल्टीमेटम दिया कि जल्द समस्याओं का निराकरण नहीं होगा तो निश्चित तौर पर हड़ताल और चक्का जाम जैसे कदम उठाए जाएंगे. इन मांगों में जहां स्पेयर पार्ट्स के अभाव में डिपो में खड़ी बसों के लिए तत्काल स्पेयर पार्टस की व्यवस्था की जाए. वहीं, नई बसों को बस बेड़े से जोड़ा जाए.
रोडवेज कर्मचारियों की मांग, आईएएस की जगह आईटीएस कैडर का हो परिवहन निगम का मुखिया
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों ने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए गुरुवार को परिवहन निगम मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने अपनी समस्याओं के तत्काल समाधान करने की मांग की.
लखनऊ में रोडवेज कर्मचारियों का प्रदर्शन
रोडवेज के संविदा कर्मियों की समस्याओं का निराकरण किया जाए और आईएएस की जगह परिवहन निगम का मुखिया आईटीएस कैडर के अधिकारियों को बनाया जाए, जिसके ट्रांसफर की भी व्यवस्था हो. उत्तर प्रदेश रोडवेज कर्मचारी संघ के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश मिश्रा ने बताया कि प्रदेशभर से बड़ी संख्या में इस प्रदर्शन में कर्मचारी शामिल होने पहुंचे थे. परिवहन निगम प्रबंधन की तरफ से ज्ञापन लेकर समस्याओं के शीघ्र समाधान का आश्वासन दिया गया तब कर्मचारियों ने धरना खत्म किया.
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष श्रीकांत अवस्थी ने कहा कि परिवहन निगम के इससे पहले जो प्रबंध निदेशक थे. उनके कार्यकाल में काफी घाटा हुआ है. कोई काम नहीं हुआ है, जिससे कर्मचारियों को वेतन देने में भी दिक्कत आ रही है. हम पहले भी क्षेत्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर अधिकारियों को आगाह करते रहे हैं. आज मुख्यालय पर बड़ा प्रदर्शन किया है. हमारी मांगों पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो बड़ा आंदोलन तय है. उन्होंने कहा कि परिवहन निगम की कार्यशाला में तकनीकी सामान की आपूर्ति नहीं की जा रही है, जिससे पूरे प्रदेश में हजारों बसें डिपो के अंदर ही खड़ी हैं. संचालन में भारी कमी आ गई है. प्रदेश में यात्रियों को असुविधा हो रही है, जिससे सरकार की छवि धूमिल हो रही है. उन्होंने कहा कि 30 वर्षों से कर्मचारियों के देशों में कोई वृद्धि नहीं की गई है.
कार्यक्रम के संयोजक और प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोरोना काल में मुख्यमंत्री ने परिवहन निगम को संकट के साथी की संज्ञा दी. जब राजशेखर प्रबंध निदेशक थे तो सरकार ने भुगतान भी पूरा किया, लेकिन उनके जाने के बाद परिवहन निगम की स्थिति खराब हो गई है. डिपो के अंदर बसें स्पेयर पार्ट्स के अभाव में खड़ी हैं. इनकी संख्या 2200 से ज्यादा है. पिछले कई सालों से नई बसें बस बेड़े से जोड़ी ही नहीं गई हैं, जिससे यात्रियों को सफर में दिक्कत हो रही है. वहीं, रोडवेज का भी नुकसान हो रहा है. उन्होंने परिवहन निगम के तुगलकी फरमान पर निशाना साधते हुए कहा कि संविदा कर्मियों के लिए 50 परसेंट लोड फैक्टर का जो आदेश परिवहन निगम ने जारी किया वह पूरी तरह गलत है. लोड फैक्टर पूरा न हो पाने पर वेतन न देने और काटने जैसे आदेशों को तत्काल वापस लिया जाए.
उपाध्यक्ष संगठन के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश मिश्रा ने कहा कि कई सालों से चली आ रही वेतन विसंगतियों को दूर नहीं किया गया है. संघ से हुई वार्ता के बावजूद परिवहन निगम को सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो से मुक्त कराकर परिवहन विभाग में संविलीन कराए जाने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निगम में कार्यरत नियमित संविदा व अन्य कर्मचारियों को दीपावली के पूर्व बोनस राशि का भुगतान कई वर्षों से नहीं किया जा रहा है. पूर्व में शासन एवं उच्च निगम प्रबंधन स्तर पर संघ से हुई समझौतों को भी लागू नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तत्काल कर्मचारियों की मांगे रोडवेज प्रबंधन मान ले, नहीं तो बड़ा आंदोलन होगा.