लखनऊ:राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के लिम्ब सेंटर को बीते दिनों कोविड-19 अस्पताल बनाने की चर्चा हुई थी. इसके बाद से यह कयास लगाए जा रहे थे कि यह कोविड-19 अस्पताल केजीएमयू के लिए सेंटर में बनाया जाएगा, लेकिन अब यह कोविड-19 अस्पताल का निर्माण अधर में लटक सकता है. दरअसल इस कोविड-19 अस्पताल को लेकर के कर्मचारियों ने विरोध जताया है.
राजधानी लखनऊ के केजीएमयू में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज चल रहा है. इसके साथ-साथ केजीएमयू प्रशासन और ज्यादा से ज्यादा कोरोना वायरस मरीजों को इलाज दे पाए, इसके लिए केजीएमयू के लिम्ब सेंटर को कोविड-19 अस्पताल बनाने की तैयारी है. बीते दिनों केजीएमयू प्रशासन की हुई कई बैठकों में इसको लेकर के प्रस्ताव रखे गए, लेकिन अब केजीएमयू की डालीगंज स्थिति लिम्ब सेंटर को कोविड-19 हॉस्पिटल बनाए जाने की चर्चा का विरोध शुरू हो गया है. यहां भर्ती दिव्यांग मरीज और हड्डी की गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की चिंता बढ़ गई है.
लखनऊ: केजीएमयू में कोविड-19 अस्पताल बनाए जाने का विरोध - लॉकडाउन 3
राजधानी लखनऊ के केजीएमयू के लिम्ब सेंटर को कोविड-19 अस्पताल बनाए जाने का कर्मचारियों ने विरोध किया है, जिसके कारण इस कोविड-19 अस्पताल का निर्माण अधर में लटक सकता है.
इस भवन में पीडियाट्रिक, ऑर्थोपेडिक समेत अन्य विभागों का संचालन हो रहा है. ऐसे में मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट करने में खासी दिक्कत को लेकर कर्मचारियों मे खासा आक्रोश है. कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वीपी मिश्रा का कहना है कि लिम्ब सेंटर प्रदेश का अकेला केंद्र है, जिसमें दिव्यांगजन के लिए उपकरण बनाए जाते हैं. केजीएमयू प्रशासन इसे कोविड-19 अस्पताल में बदलना चाहता है, जबकि इस विभाग को केवल दिव्यांग जनों के कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है और इसका जिक्र केजीएमयू एक्ट में भी है.
ऐसे में यदि लिम्ब सेंटर को प्रशासन कोविड-19 अस्पताल बनाता है तो शासनादेश व विश्वविद्यालय एक्ट का उल्लंघन होगा. इस विरोध पर केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसएन शंखवार ने बताया कि अभी ऐसी कोई जरूरत नहीं पड़ी है. जरूरत पड़ने पर ही कोविड-19 अस्पताल बनाने का कदम उठाया जाएगा. यदि कर्मचारी को कोई समस्या है तो चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र लिखकर अपनी समस्या से अवगत कराएं.
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