लखनऊ: नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉई एंड इंजीनियर्स (एनसीसीओईई) के निर्णय पर देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के विरोध में काली पट्टी बांध कर विरोध दर्ज कराया. जिले में तमाम बिजली कर्मियों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और केंद्र सरकार से बिल वापस लेने की मांग की है.
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के संगठनों ने बिल के उपभोक्ताओं और किसान विरोधी प्राविधानों से सभी प्रांतो के मुख्यमंत्रियों और संसद सदस्यों को पत्र भेजकर अवगत कराया है. बिजली कर्मचारियों ने सभी से इस बिल का विरोध करने और इसे वापस कराने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की अपील की है.
निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है. निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी. कोविड -19 संक्रमण के दौरान लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए निजीकरण करने की निंदा करते हुए संघर्ष समिति ने इसे देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी. किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी.