लखनऊ :उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन व प्रदेश की बिजली कंपनियों के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने बिजली फ्यूल सरचार्ज में कमी के फैसले को फिलहाल टाल दिया है. बताया जा रहा है कि ये अपने आप में रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है. विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत विद्युत उपभोक्ताओं को फ्यूल सरचार्ज में राहत देना था, लेकिन आयोग ने ऐसा नहीं किया. उपभोक्ता परिषद का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए, किसी के दबाव में नहीं.
बिजली दरों में कमी लाने का था प्रस्ताव : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से 20 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग में वर्ष 2023 -24 अप्रैल, मई, जून 2023 क्वार्टर-1 के लिए फ्यूल सरचार्ज को लेकर याचिका दाखिल की थी. इसमें 35 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणी के विद्युत उपभोक्ताओं को 18 पैसे से लेकर 69 पैसे प्रति यूनिट तक अगले तीन माह तक बिजली दरों में कमी लाने का प्रस्ताव था. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में सदस्य तकनीकी श्री संजय कुमार सिंह से विरोध दर्ज कराया. कहा कि विद्युत नियामक आयोग अब दो माह बाद तर्क दे रहा है कि भारत सरकार की तरफ से मंथली बेसिस पर फ्यूल सरचार्ज का रूल बनाया गया है. उसके मद्देनजर अब फ्यूल सरचार्ज का मामला बिजली दर के ट्रू -आप के समय देखा जाएगा. रूल वर्ष 2022 में बना था और अभी इसके पहले विद्युत नियामक आयेग ने पावर कारपोरेशन के फ्यूल सरचार्ज के उस आदेश पर जिसमें अगस्त 2023 में 28 पैसे से लेकर 1.09 पैसा बढ़ोतरी की बात की गई थी उस पर कार्रवाई का आदेश क्यों निर्गत किया गया था? कार्रवाई कर फैसला भी सुना दिया गया था जिसमें उपभोक्ताओं पर भार पड़ना था.
विद्युत नियामक आयोग में दरों में कमी की याचिका :अवधेश वर्मा का कहना है कि जब पब्लिक को राहत देने की बात आती है तब नए कानून की बात की जाती है. विद्युत नियामक आयोग को रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में यह जानकारी तो होगी ही कि वर्तमान में फ्यूल सरचार्ज का जो कानून उत्तर प्रदेश में लागू है वह विद्युत नियामक आयोग का बनाया कानून है उसमें क्वार्टरली उपभोक्ताओं को लाभ मिलना है. जब तक भारत सरकार की तरफ से बनाया गया कानून विद्युत नियामक आयोग अडॉप्ट नहीं करता तब तक उसकी बात करना गलत है. उनका कहना है कि इसी के तहत पाॅवर काॅरपोरेशन ने क्वार्टरली बेसिस पर ही विद्युत नियामक आयोग में दरों में कमी की याचिका भी दाखिल की थी. अवेधश वर्मा का कहना है कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि 20 अक्टूबर को पाॅवर कॉरपोरेशन ने फ्यूल सरचार्ज के मद में बिजली में कमी के लिए याचिका दाखिल की और जिसकी वसूली तीन माह में होती है अब जब तीन माह का समय पूरा होने वाला है, तब विद्युत नियामक आयोग को याद आया कि भारत सरकार की तरफ से मंथली बेसिस पर फ्यूल सरचार्ज का रूल बनकर तैयार हो गया है.