लखनऊ : एक तरफ उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री कह रहे हैं कि ईंधन अधिभार के नाम पर बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. दूसरी तरफ पाॅवर काॅरपोरेशन के दबाव में विद्युत नियामक आयोग ने 26 जुलाई को सभी बिजली कंपनियों के लिए दाखिल ईंधन अधिभार शुल्क में प्रस्तावित बढ़ोतरी पर कार्रवाई को आगे बढ़ा दिया है. बिजली कंपनियों को अपने प्रस्ताव को सार्वजनिक करने का निर्देश जारी कर दिया है. यह भी कहा गया है कि तीन सप्ताह तक कोई भी उपभोक्ता अपनी आपत्ति दाखिल कर सकता है. पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रहा है इसके बावजूद ईंधन अधिभार शुल्क में बढोतरी की तैयारी की जा रही है. अगर अधिभार शुल्क में बढ़ोतरी हो जाती है तो बिजली दरों में भी बढ़ोतरी होना तय है
उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से पाॅवर काॅरपोरेशन ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में ईंधन अधिभार यानी कि फ्यूल सरचार्ज जनवरी फरवरी-मार्च 2023 के क्वार्टर के लिए विद्युत नियामक आयोग में 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग प्रस्ताव श्रेणीवार दाखिल किया है. इस मामले में उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ईंधन अधिभार लगाने के लिए विद्युत नियामक आयोग ने जून 2020 में एक कानून बनाया है. पाॅवर काॅरपोरेशन ने उस कानून के विपरीत जाकर मनमाने तरीके से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए जो साजिश की है, वह पूरी तरीके से आयोग की अवमानना है. उनका कहना है कि अगर कानून के तहत प्रस्ताव दाखिल किया जाता तो 30 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को लाभ मिलता, लेकिन ऐसा न करके बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं पर भार डलवाने के लिए आमादा हैं.
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर कुल लगभग 33,122 करोड़ सरप्लस निकल रहा है उस राज्य में किस आधार पर ईंधन अधिभार लगाने के लिए आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया. इसे खारिज किया जाना चाहिए. प्रदेश की बिजली कंपनियां प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरें बढ़ाने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं, लेकिन उन्हें शायद नहीं पता है रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत ही किसी कार्रवाई को आगे बढ़ाया जा सकता है. जून फरवरी-मार्च 2023 के लिए जो आकलन पाॅवर काॅरपोरेशन ने प्रदेश के उपभोक्ताओं से कुल 1437 करोड़ की वसूली करने के लिए 61 पैसा प्रति यूनिट के आधार पर अलग-अलग श्रेणीवार औसत बिलिंग दर के आधार पर उपभोक्ताओं पर बढ़ोतरी मांगी है. वह 28 पैसे प्रति यूनिट से लेकर रुपये 1.09 प्रति यूनिट तक है जिसे किसी भी हालत में लागू नहीं होने दिया जाएगा.