लखनऊ: भाजपा (BJP) के 2017 के संकल्प पत्र (manifesto) में सस्ती बिजली (electricity) देने का वादा किया था. उस दौरान तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार (akhilesh yadav government) पर हमला करते हुए भाजपा ने कहा था कि हम बिजली के दाम कम कर देंगे, लेकिन बिजली के दामों में कमी नहीं आई. यह बात दीगर है कि पिछले साढ़े चार साल में दो बार बिजली के दाम जरूर बढ़ गए. इस वक्त 300 यूनिट बिजली का खर्च करने पर तीन किलोवाट के कनेक्शन वाले व्यक्ति का खर्च 1100 रुपये है. बिजली बिल का स्लैब जो कि साढ़े पांच रुपये से प्रारंभ होता है. वह सात रुपये तक पहुंच जाता है. अब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने 300 यूनिट तक फ्री बिजली का मुद्दा सामने रख दिया है, जिसके बाद भाजपा के लिए इस चुनौती का सामना करना आसान नहीं होगा. अब अन्य राजनैतिक दल भी बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में सपा सरकार में बिजली के दाम शहरी इलाकों में करीब साढ़े तीन से साढ़े पांच रुपये के बीच रहे थे. भाजपा ने दावा किया था कि उनकी सरकार आने पर बिजली के दामों को कम कर दिया जाएगा. बिजली कंपनियों की तानाशाही खत्म की जाएगी, लेकिन वास्तविकता में ऐसा हो नहीं सका. प्रदेश में बिजली के दामों में किसी तरह की भी कमी नहीं आ सकी है.
उत्तर प्रदेश के रिहायशी इलाकों में बिजली के दामों की हकीकत डरावनी है. एक तीन किलोवॉट के कनेक्शन पर यहां कम से कम साढ़े पांच रुपये प्रति यूनिट से बिल लिया जाता है. वह भी पहले 150 यूनिट तक. दूसरे 150 यूनिट का बिल छह रुपये प्रति यूनिट की दर से लेते हैं. इसका अर्थ है कि 300 यूनिट बिजली का बिल करीब 1100 रुपये आता है. इसके बाद में स्लैब धीरे-धीरे आगे बढ़ता जाता है. 500 यूनिट से सात सौ यूनिट के बीच साढ़े छह रुपये और इसके बाद में सात रुपये प्रति यूनिट बिजली का बिल लिया जाता है.