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Electricity Meter : पुराने मीटर की अपेक्षा हर बार तेज गति से भागते हैं नए मीटर, उपभोक्ता परेशान

बिजली विभाग मीटरों के बदलने के खेल से उपभोक्ता आजिज आ चुके हैं, लेकिन शासन और प्रशासन स्तर पर इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता है. इसकी वजह है मीटर बदलने के खेल में लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे होते हैं. देखिए रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 30, 2023, 11:26 AM IST

लखनऊ :उत्तर प्रदेश में पिछले ढाई दशक में विभिन्न कारणों से बार-बार बिजली मीटर बदलने का खेल चल रहा है. इन फरमानों से उपभोक्ता परेशान हैं. उपभोक्ताओं का कहना है कि हर नया मीटर पहले वाले मीटर से ज्यादा रफ्तार में अपना यूनिट पूरा करता है. स्वाभाविक है इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर ही पड़ता है. वर्ष 1997 में बनी राजनाथ सिंह की सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे नरेश अग्रवाल ने पहली बार चाइनीज मीटर लाने का फैसला किया था. इस कारण पुराने मीटर बदलने का फैसला किया गया था. तब नरेश अग्रवाल के इस फैसले का खूब विरोध भी हुआ था. बावजूद इसके मीटर आए और बदले गए. तब शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारी है. एक बार फिर मीटर बदले जाने की कवायद शुरू हो गई है.

यूपी में मीटर बदलने का खेल.


अलीगंज निवासी विद्युत उपभोक्ता अमित श्रीवास्तव का कहना है कि सरकार किसी न किसी बहाने से साल-दो साल में मीटर बदलने का फरमान ले आती है. हर बार पहले लगे मीटर से नया मीटर तेज गति से भागता है. स्वाभाविक है कि इससे महीने का बिजली बिल भी बढ़ जाता है. अमित कहते हैं कि मीटर तेज चलने की समस्या को लेकर अधिकारियों से बार-बार शिकायत करने का भी कोई फायदा नहीं है. अधिकारी अपनी जिद पर अड़े रहते हैं और कोई भी बात सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं. यदि नया मीटर पहले से तेज नहीं चल रहा तो बिल में वृद्धि कैसे हो जाती है, जबकि घर में कोई नया उपकरण भी नहीं लगाया गया. आखिर मीटर बदलने की बार-बार जरूर भी क्यों पड़ती है. अमित कहते हैं कि या तो मीटरों की खरीद-फरोख्त में कमीशनबाजी होती है अथवा नया मीटर बदलने के नाम पर कंपनियों से साठगांठ. सरकार को उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा भी करनी चाहिए, जिसकी ओर किसी का भी ध्यान बिल्कुल नहीं है.

यूपी में मीटर बदलने का खेल.



त्रिवेणी नगर निवासी विद्युत उपभोक्ता शिवम पांडे कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में हमारे घर में दो मीटर बदले जा चुके हैं. नए मीटर की रफ्तार भी पहले से काफी ज्यादा है. शायद इसी कारण बिल भी अब ज्यादा आ रहा है. प्रीपेड मीटरों की भी यही स्थिति है. बिजली विभाग के अधिकारियों से मीटर तेज चलने की शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होता. अधिकारी अपनी मनमानी ही करते हैं और उपभोक्ता की शिकायत का समुचित निराकरण कभी नहीं करते. अंततः मजबूर होकर लोग नई व्यवस्था को स्वीकार ही कर लेते हैं. बढ़ती बिजली दरें और मीटरों की रफ्तार के कारण ही अब लोग सोलर ऊर्जा की ओर ज्यादा भाग रहे हैं.

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