लखनऊ :उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है. जहां पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली -2022 रूपी नया कानून अधिसूचित कर दिया है. नियामक आयोग ने नवंबर 2022 में जारी किए गए कानून को राज्य सरकार को अधिसूचना जारी करने के लिए भेजा गया था, जो अब जारी हो गई. पूरे प्रदेश यह कानून विधिवत लागू हो गया है अब बिजली कम्पनियों को जल्द कार्रवाई शुरू करना होगा. यह वही कानून है जिसके तहत अब प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में चाहे वह शहरी क्षेत्र का मामला हो या ग्रामीण क्षेत्र का मामला हो बिजली खंभों, टावरों पर अब कोई भी प्राइवेट या सरकारी दूरसंचार कंपनी ब्रॉडबैंड डिस ऑपरेटर 5जी नेटवर्क या अन्य कोई भी अपना सिस्टम उस पर किसी भी तार केबल का उपयोग करेगा तो अब उसे उसका शुल्क देना होगा. आयोग ने सुरक्षा मानक को देखते हुए अपने कानून में यह भी व्यवस्था की है कि 33 केवी लाइन टाॅवरों को छोड़कर ही यह कार्य किया जाएगा. प्रदेश की बिजली कंपनियां इस कानून के प्रावधानों के तहत टेंडरिंग प्रोसेस से इस कार्य को आगे बढ़ाएंगे. टेंडर के माध्यम से दूरसंचार कंपनियों को कार्य दिया जाएगा जिससे किसी के साथ कोई भी भेदभाव ना होने पाए.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि इस कानून को पारित होने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां पारदर्शी तरीके से टेंडर के माध्यम से जो भी दरें तय होगी उसके हिसाब से दूरसंचार कंपनियों से वसूली करेंगे. कानून में यह भी प्रावधान किए गए हैं कि दूरसंचार कंपनियां सुरक्षा के किसी भी मानक से खिलवाड़ नहीं कर सकती. इससे प्राप्त होने वाला राजस्व गैर टैरिफ आय में सम्मिलित किया जाएगा. जिसका 70 प्रतिसत आय प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा. यानी वार्षिक राजस्व आवश्यकता का पार्ट होगा. 30 प्रतिशत आय बिजली कंपनियों को दी जाएगी. आयोग की तरफ से बनाए गए इस नए कानून में इस बात की भी पूरी व्यवस्था की गई है कि किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व न हो पाए. इसलिए किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं दे सकती. किसी एक कंपनी की मोनोपोली नहीं हो सकती.