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डाटा क्लीन के नाम पर बिजली विभाग ने कर दिए फोर्स परमानेंट डिस्कनेक्शन, अब आ रही यह समस्या

उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के साथ विभागीय धोखाधड़ी और मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. ऐसे ही कई मामले फोर्स परमानेंट डिस्कनेक्शन की वजह से सामने आ रहे हैं. उपभोक्ताओं का कहना है कि डाटा क्लीन के नाम पर बिजली विभाग ने उनके साथ बड़ी धोखाधड़ी कर दी है. इससे बकाया जमा करने के बाद भी बिजली कनेक्शन चालू नहीं हो पा रहे हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 16, 2023, 7:43 PM IST

लखनऊ : बिजली विभाग के अफसरों के कारनामे जग जाहिर हैं. रिश्वत दो फिर चाहे जितना टेढ़ा काम हो आसानी से करा लो, लेकिन अगर रिश्वत नहीं तो सीधा काम भी असंभव जैसा बताकर अफसर पल्ला झाड़ लेते हैं. उपभोक्ताओं को लाभ देने वाली योजना में कन्नी काटने लगते हैं और जब उपभोक्ताओं का नुकसान करना हो तो फिर इसमें देरी नहीं करते हैं. ऐसे ही मामले उजागर हो रहे हैं जहां पर बिजली विभाग के अफसरों ने डाटा क्लीन के नाम पर फोर्स परमानेंट डिस्कनेक्शन कर दिए. उपभोक्ताओं से पूछा तक नहीं गया. वहीं जब एकमुश्त समाधान योजना में बकाया जमा करने पर दोबारा कनेक्शन जोड़ने की सुविधा दी गई, लेकिन फिर भी प्रदेश के तमाम उपभोक्ताओं का कनेक्शन ही नहीं जोड़ा जा रहा है. ऐसी शिकायतें किसानों और आम उपभोक्ताओं ने की हैं. अब इसे लेकर बहुत जल्द विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल किए जाने की तैयारी है.




उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से आयोजित होने वाले प्रादेशिक वेबीनार में विद्युत उपभोक्ताओं ने अपनी व्यथा साझा की. नाराजगी व्यक्त की है कि वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में विद्युत उपभोक्ताओं को अनेक जनपदों में ग्रामीण शेड्यूल्ड की विद्युत आपूर्ति देकर उनसे शहरी दर पर वसूली हो रही है. कोई सुनने वाला नहीं है. उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग भी रिपोर्ट मांगकर चुप्पी साध लिया है. जो बहुत ही गंभीर मामला है. अब आंदोलन की जरूरत है. वेबीनार में जुडे अनेकों किसानों ने यह मुद्दा उठाया कि बिजली कंपनियों में डाटा क्लीन करने के नाम पर अनेक जनपदों में किसानों के कनेक्शन जिस पर बकाया था उसे फोर्स पीड़ी कर दिया गया और किसानों से कोई अनुमति भी नहीं ली गई. अब वह जब पूरा बकाया जमा करके अपने कनेक्शन को पुनः चालू करना चाह रहे हैं तो वह चालू नहीं हो पा रहा है.

नया कनेक्शन लेने पर लाइन बनाने का खर्चा देना पड़ेगा जो किसानों के लिए बहुत ही कष्टकारी है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा इस पर नियमों में बदलाव करना होगा. जल्द ही प्रबंधन से बात करूंगा और जरूरी हुआ तो फोर्स पीड़ी के मामले में विद्युत वितरण संहिता में संशोधन के लिए प्रस्ताव रखूंगा. प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं ने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की कि जब बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का कोई भी पैसा चाहे वह ईंधन अधिभार के मद मे या टैरिफ पर आयोग की तरफ से किसी मद में निकाला जाता है तो उसके एवज में बिजली दरों में कमी नहीं की जाती, जो बहुत गंभीर मामला है. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली दरों में कमी किए जाने का मामला काफी लंबे समय से विद्युत नियामक आयोग में लंबित है. विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड सरप्लस निकल रहा है. इसके बावजूद बिजली दरों में कमी नहीं की जा रही है.


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