लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा है. यही वजह है कि बिजली कनेक्शन लेने की चाहत रखने वाले लोग कनेक्शन ले पाने में असमर्थ हैं. शहरी इलाकों में तो विभाग का इंफ्रास्ट्रक्चर फैला है, बिजली की लाइन खिंची हैं, खंभे भी लगे हुए हैं. यहां पर कनेक्शन लेने में तो आसानी होती है, लेकिन जो ग्रामीण इलाके हैं या फिर जो नई जगह पर लोग घर बना रहे हैं वहां तक बिजली विभाग अपना इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप ही नहीं कर रहा है. इसके बदले कनेक्शन लेने वाले आवेदकों को भारी-भरकम एस्टीमेट थमा दिया जा रहा है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है. लाइन से ज्यादा दूरी होने पर हजारों का एस्टीमेट बनाकर दिया जाता है. लोग इसे जमा नहीं कर पा रहे हैं. इससे उन्हें कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है.
शहर से सटे हुए ग्रामीण इलाकों में बिजली विभाग का आधारभूत ढांचा तैयार नहीं हो पाने से कनेक्शन की चाहत रखने वाले लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. चाहकर भी उन्हें कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है. राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां के जो भी शहर से सटे ग्रामीण इलाके हैं उनमें तो बिजली विभाग ने खंभे और लाइन खींच रखी है, लोगों को कनेक्शन भी दे दिए हैं, लेकिन लखनऊ से इतर उत्तर प्रदेश के दूरदराज जनपदों के ग्रामीण इलाकों की स्थिति बिजली के मामले में अभी तक दुरुस्त नहीं हो पा रही है. बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं होने से लोग कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान नहीं दे रहा है बिजली विभाग,एमडी भवानी सिंह खंगारौत ने दी जानकारी बिजली विभाग का नियम है कि, उसी आवेदक को कनेक्शन दिया जा सकता है जिसके परिसर की दूरी बिजली विभाग की लाइन से 40 मीटर हो. इससे ऊपर दूरी होने पर विभाग की तरफ से एस्टीमेट तैयार किया जाता है जिसकी भरपाई करने के बाद ही विभाग वहां पर खंभा लगाकर लाइन खींचता है और कनेक्शन देता है. अब यहीं पर सबसे ज्यादा समस्या शहर से सटे ग्रामीण इलाकों के लोगों को हो रही है. हजारों रुपये का भारी-भरकम एस्टीमेट विभाग की तरफ से दे दिया जाता है जो आम उपभोक्ता जमा करने में पूरी तरह असमर्थ होता है. ऐसे में उपभोक्ता को कनेक्शन भी नहीं मिल पाता है. इस तरह की शिकायतें बिजली विभाग उच्चाधिकारियों को प्राप्त हो रही हैं. जनसुनवाई में लोग इसी तरह का दर्द लेकर पहुंच रहे हैं. अब विभागीय अधिकारी नई कॉलोनियों के बसने पर वहां तक इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने को लेकर रणनीति भी तैयार करने लगे हैं.
जूनियर इंजीनियर नहीं बनाते एक जैसा एस्टीमेट नए कनेक्शन के लिए जब आवेदक बिजली विभाग से संपर्क स्थापित करता है तो लंबी दूरी होने पर जूनियर इंजीनियर एस्टीमेट की बात करते हैं और 40 मीटर से ज्यादा दूरी होने पर बिजली के खंभे, तार का भारी-भरकम बिल तैयार कर देते हैं. ऐसे में अगर किसी एक उपभोक्ता को कनेक्शन लेना है तो वह कनेक्शन लेने के ख्वाब ही छोड़ देता है. ऐसा भी नहीं है सभी जगह जूनियर इंजीनियर एक जैसा ही एक दूरी के लिए एस्टीमेट बनाएं इसमें भी भिन्नता होती है तो और भी ज्यादा दिक्कत आवेदक के सामने आती है.
क्या कहते हैं एमडी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भवानी सिंह खंगारौत का कहना है कि बिजली कनेक्शन लेने के लिए आवेदकों की शिकायतें भी आ रही हैं कि, लंबी दूरी होने के कारण वे कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं. एस्टीमेट काफी ज्यादा है जो अकेले भर पाने में असमर्थ हैं. ऐसे कनेक्शनों का नक्शा तैयार करा कर उसकी जांच कराई जाएगी. विभाग इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा ध्यान देगा, साथ ही कोई ऐसी योजना भी तैयार करेगा. जिससे उपभोक्ता को आसानी से कनेक्शन उपलब्ध हो सके.
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