लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने आठ नवंबर को एकमुश्त समाधान योजना (ओटीएस) की शुरूआत की थी. पहले योजना 31 दिसंबर तक के लिए थी. इसके बाद 15 दिन के लिए बढ़ा गया. अब योजना की अवधि 16 जनवरी को खत्म हो रही है. पहली बार बिजली चोरी के मामलों को भी इस योजना में शामिल किया गया था. हालांकि जिस उद्देश्य से छूट का लाभ दिया गया, उसका फायदा विभाग को नहीं मिल पाया. हालांकि सामान्य उपभोक्ताओं ने बढ़ चढ़कर इस योजना में पहल की. इससे विभाग को 5436 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में मिले, लेकिन योजना में चोरी और डिफाल्टर उपभोक्ताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.
उत्तर प्रदेश में एकमुश्त समाधान योजना 70 दिनों तक लागू रही. 16 जनवरी के बाद से यह योजना समाप्त हो जाएगी. इसके बाद ऐसे उपभोक्ताओं को जिनका अभी भी बिल बकाया है उन पर कार्रवाई की जाएगी. 14 जनवरी तक ओटीएस के अंतर्गत 50.56 लाख उपभोक्ताओं ने छूट का लाभ लिया है. इससे विभाग को 5436 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. उपभोक्ताओं को भी 1795 करोड़ रुपये की छूट दी गई है. इसमें विद्युत चोरी के मामले में सिर्फ 1.03 लाख उपभोक्ताओं ने लाभ लिया. ऐसे में बिजली विभाग ने जिस उम्मीद के साथ बिजली चोरों से बकाया वसूली के लिए उन्हें ओटीएस का लाभ देकर किरकिरी झेली थी उसमें विभाग को कामयाबी नहीं मिली. अब भी प्रदेश में लाखों ऐसे बकाएदार बच गए हैं जो बिजली चोरी करने के बावजूद भुगतान नहीं कर रहे हैं. हालांकि अब ऐसे उपभोक्ताओं पर पाॅवर काॅरपोरेशन शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है.