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बिजली गुल : 23 हजार मेगावाट तक जा पहुंची बिजली की मांग, शहर से लेकर गांव तक गहराया संकट

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग अब 23 हजार मेगावाट तक जा पहुंची है. 30 अप्रैल को अभी तक की सबसे ज्यादा डिमांड जा पहुंची है. तकरीबन 23,000 मेगावाट तक 30 अप्रैल को बिजली की मांग रही है. जबकि, आपूर्ति सिर्फ 19,366 मेगावाट ही हो पाई.

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बिजली की मांग

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Published : May 1, 2022, 2:16 PM IST

Updated : May 1, 2022, 4:53 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भीषण बिजली संकट के बीच बिजली की मांग 23 हजार मेगावाट तक जा पहुंची है. वहीं, तापीय केंद्रों की बात की जाए तो यहां पर पांच दिन का ही कोयला शेष बचा हुआ है. हालांकि अब ऊर्जा मंत्री ने ट्रेन के साथ ही सड़क मार्ग से भी कोयले की ढुलाई कराने का फैसला लिया है, जिससे समय पर कोयला तापीय केंद्रों तक पहुंच सके. अगर इसमें जरा सी चूक हुई तो बिजली संकट गहरा जाएगा. उत्पादन निगम की चार इकाइयों के पास अब एक से लेकर पांच दिन का ही कोयला शेष रह गया है. कोयले की किल्लत के चलते अप्रैल माह में 303 मिलियन यूनिट बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है, वहीं प्लांट के पास भी कोयले का स्टॉक लगभग खात्मे पर है.

उत्पादन इकाइयों को आवश्यकता के मुताबिक, कोयले की बात करें, तो अनपरा को एक दिन में लगभग 40,000 मीट्रिक टन कोयला जरूरत होता है. लेकिन, वर्तमान में 10 हजार मीट्रिक टन कोयला कम पहुंच रहा है. सिर्फ 30 हजार मीट्रिक टन कोयला ही अनपरा को मिल पाया है. इसी तरह ओबरा को 15,700 मीट्रिक टन की जरूरत होती है. लेकिन, 12500 मीट्रिक टन ही कोयले की आपूर्ति हो पाई. पारीछा तापीय केंद्र को 19 हजार मीट्रिक टन की आवश्यकता होती है. लेकिन, साढ़े 15 हजार मीट्रिक टन कोयला ही उपलब्ध हुआ. हरदुआगंज को भी जरूरत के मुताबिक कोयला नहीं मिल पाया.

भीषण गर्मी में बिजली की डिमांड लगातार आसमान छू रही है. 30 अप्रैल को अभी तक की सबसे ज्यादा डिमांड जा पहुंची है. तकरीबन 23,000 मेगावाट तक 30 अप्रैल को बिजली की मांग रही है. जबकि, आपूर्ति सिर्फ 19,366 मेगावाट ही हो पाई. उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा बिजली केंद्र के कोटे से ही मिली है. वहां से साढ़े आठ हजार मेगावाट बिजली उत्तर प्रदेश को उपलब्ध कराई गई. इसके अलावा निजी क्षेत्र से 6000 मेगावाट, यूपी उत्पादन निगम से 4,300 मेगावाट से अधिक और हाइड्रो से 366 मेगावाट बिजली प्राप्त हुई है.

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लगातार गुल हो रही है बिजली

शहर से लेकर गांव, तहसील और ब्लॉक में बिजली आपूर्ति इस कदर बाधित हुई है कि आम जनता को काफी दिक्कत हो रही है. उत्तर प्रदेश में तकरीबन सात करोड़ से ज्यादा की आबादी बिजली संकट से जूझ रही है. गांवों में 18 घंटे की जगह नौ घंटे, नगर पंचायतों में साढे 21 घंटे की जगह साढ़े 14 घंटे और तहसील में साढ़े 21 घंटे के स्थान पर 15 घंटे से कुछ ज्यादा ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है. पांच से सात घंटे बिजली कटना तो नॉर्मल हो गया है. अघोषित कटौती से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.

क्या बोले यूपी सरकार के मंत्री ?
अनपरा विद्युत इकाई के लिए कोयले की आपूर्ति शूरू हो गई है. अब जल्द ही बिजली संकट से राहत मिलने की उम्मीद है. उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बताया कि विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास हो रहे हैं. कुछ स्रोतों से आज से अतिरिक्त बिजली मिलने की शुरुआत हो रही है. जल्द ही बिजली आपूर्ति की स्थिति बेहतर होगी. उन्होंने कहा कि विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के क्रम में प्रदेश के अनपरा ताप विद्युत गृह (2630 मेगावाट) की इकाइयों के लिए 10 लाख मीट्रिक टन कोयला नार्दन कोल फील्ड लिमिटेड की खदानों से रेल के साथ-साथ रोड मार्ग से भी लाया जा सके, इसके लिए निर्णय लिया गया है.

इस अतिरिक्त कोयले की आपूर्ति से अनपरा उत्पादन गृह में कोयले का पर्याप्त भण्डारण बना रहेगा, जिसका उपयोग अवश्यक्तानुसार विद्युत उत्पादन में किया जाएगा. ऊर्जा मंत्री ने बिजली आपूर्ति को लेकर संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि रेलवे के रेक को जल्दी खाली करने के प्रयास किए जाएं. जिससे वह कोयला लाने के लिए ज्यादा फेरे लगा सके.

ऊर्जामंत्री ने बताया है कि उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधा देने के लिए विद्युत संयंत्रों की लगातार मॉनिटरिंग हो रही है. ऊर्जा मंत्री ने जालौन ज़िले के 33 KV के दो विद्युत उपकेंद्रों (एट व उसरगांव ) पर औचक निरीक्षण के लिए गए. वहां की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि टोल फ्री नंबर 1912 की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है. स्थानीय दोषों के पूर्वानुमान सहित उनको कम से कम समय में ठीक कराने की कोशिश हो रही है. जिससे जो बिजली उपलब्ध है वह उपभोक्ताओं तक निर्बाध पहुंचे.


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Last Updated : May 1, 2022, 4:53 PM IST

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