लखनऊ : प्रदेश सरकार दावा करती है कि शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे और ग्रामीण इलाकों में 18 से 20 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है. हालांकि इस समय जब प्रदेश में बिजली की मांग अपने चरम पर है तो सरकारी तंत्र चरमराता दिखाई दे रहा है. राजधानी और बड़े शहरों की बात अलग है, लेकिन छोटे शहरों और गांवों में खूब कटौती की जा रही है. यह बात और है कि बिजली कटौती के लिए कभी लाइनों की गड़बड़ी तो कभी अन्य कारणों को जिम्मेदार बताया जाता है, लेकिन हकीकत यह है कि अभी इस क्षेत्र में सरकार को बहुत कुछ करना पड़ेगा, तभी हालात सुधर पाएंगे.
बिजली संकट दूर करने के लिए ऊर्जा मंत्री एके शर्मा तमाम दावे करते रहे हैं. वह लगातार अधिकारियों संग बैठकें करते हैं और उपकेंद्र की क्षमता बढ़ाने के लिए भी कोशिश होती है. बावजूद इसके जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण प्रदेश की जरूरतें भी बड़ी हैं. गर्मियों के अंत और वर्षा ऋतु के आरंभ में, जब उमस भरी गर्मी का दौर होता है, तब प्रदेश में बिजली की सर्वाधिक मांग होती है. लोगों की आर्थिक स्थिति ज्यों-ज्यों मजबूत हो रही है, उसी क्रम में कूलर की जगह लोग एयर कंडीशनर लगा रहे हैं. विद्युत चालित उपकरणों में भी इजाफा हो रहा है. इलेक्ट्रिक वाहनों का दौर भी शुरू हो गया है, जिनकी चार्जिंग के लिए बिजली की खपत होती है. अभी विद्युत चालित वाहनों की संख्या दिनोंदिन और बढ़नी है. ऐसे में सरकार के लिए बढ़ती मांग पूरी कर पाना कठिन हो रहा है. ऐसे में मजबूरन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती करनी पड़ती है. स्थितियों में नियंत्रण के लिए सरकार को अभी और कदम उठाने की जरूरत है.