लखनऊ :राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर इन दिनों अच्छी खासी तादाद में चार पहिया इलेक्ट्रिक गाड़ियां नजर आ रही हैं. खास बात यह है कि इन इलेक्ट्रिक गाड़ियों में ज्यादातर गाड़ियां उत्तराखंड (यूके) की हैं और दौड़ उत्तर प्रदेश की सड़कों पर रही है. बात अगर लखनऊ की करें तो यहां भी सड़कों पर यूपी की चार पहिया कारों के बजाय उत्तराखंड की चार पहिया कारें ज्यादा नजर आ रही हैं. इसके पीछे बड़ी वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी के तहत अतिरिक्त टैक्स की छूट पहले से ही मिलनी शुरू हो गई थी. इसी वजह से लोग उत्तर प्रदेश की तुलना में उत्तराखंड में वाहन रजिस्टर कराकर और यूपी में चला रहे हैं.
Electric Vehicle Policy : यूपी की सड़कों पर दौड़ रहे उत्तराखंड के इलेक्ट्रिक वाहन, जानिए वजह
उत्तर प्रदेश की सड़कों पर उत्तराखंड में रजिस्टर्ड इलेक्ट्रिक वाहनों की बड़ी संख्या देखी जा सकती है. इसकी वजह है कि यूपी में इलेक्ट्रिक वाहन पाॅलिसी का आगाज काफी बाद हुआ. इसके अलावा पेट्रोल डीजल वाहनों की कीमत के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहन काफी महंगे साबित हो रहे हैं. यही कारण है कि पहले के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री कम हो रही है.
इलेक्ट्रिक वाहन खरीद सुस्त :शुरुआती दिनों में इलेक्ट्रिक वाहनों को खरीदना का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा था, लेकिन अब धीरे-धीरे चाहे इलेक्ट्रिक कार हो या इलेक्ट्रिक बाइक या फिर स्कूटी, इसके ज्यादा खरीदार नहीं मिल रहे हैं. इन वाहनों की खरीद की रफ्तार सुस्त पड़ गई है. इसकी भी एक अहम वजह है कि इलेक्ट्रिक पॉलिसी लागू होने के बावजूद अभी भी पेट्रोल गाड़ियों की तुलना में इलेक्ट्रिक गाड़ियां काफी ज्यादा महंगी हैं. अभी तक तमाम कंपनियों की जो इलेक्ट्रिक दो पहिया गाड़ियां आ रही थीं उन कंपनियों ने मेक इन इंडिया के उपकरण इस्तेमाल नहीं किए थे. जिसके बाद उन्हें सब्सिडी मिलना बंद हो गई. इससे भी मार्केट प्रभावित हो गई है.
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