लखनऊ में इलेक्ट्रिक वाहनों का किराया कम होगा. देखें खबर लखनऊ :राजधानी समेत प्रदेश भर में संचालित हो रहे इलेक्ट्रिक रिक्शा, इलेक्ट्रिक ऑटो और इलेक्ट्रिक कॉमर्शियल वाहनों का अभी तक कोई किराया निर्धारित ही नहीं है. ऐसे में लोगों से यह मनमाना किराया वसूल कर रहे हैं, लेकिन अब अन्य वाहनों की तरह ही इन सभी इलेक्ट्रिक वाहनों का भी किराया तय करने की तैयारी हो गई है. परिवहन आयुक्त मुख्यालय स्तर पर एक समिति का गठन किए जाने की तैयारी है. समिति ने किराए पर मंथन शुरू कर दिया है. डीजल, पेट्रोल और सीएनजी के एवज में इलेक्ट्रिक वाहन का खर्च कितना आ रहा है उसी के मुताबिक इन वाहनों का किराया तय किया जाएगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों में सफर होगा सस्ता. लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश की सड़कों पर अब डीजल,, पेट्रोल और सीएनजी से संचालित बसों की तुलना में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इलेक्ट्रिक बस, इलेक्ट्रिक रिक्शा और इलेक्ट्रिक ऑटो के साथ ही अब इलेक्ट्रिक दोपहिया काॅमर्शियल वाहनों का भी इस्तेमाल होने लगा है. ऐसे में अब परिवहन विभाग के अधिकारियों का ध्यान ऐसे वाहनों की तरफ गया है जो कमाई तो खूब कर रहे हैं, लेकिन विभाग को इनसे कुछ हासिल नहीं हो रहा है. यात्रियों से भी अन्य परिवहन साधनों के बराबर या इससे ज्यादा पैसा वसूल रहे हैं. मुख्यालय स्तर पर एक समिति गठित की जा रही है जो अब इलेक्ट्रिक वाहनों के किराए पर मंथन करेगी और अपनी राय प्रस्तुत करेगी कि किस तरह के इलेक्ट्रिक वाहन के लिए किस रूट का कितना किराया होना चाहिए. राज्य परिवहन प्राधिकरण की तरफ से किराया तय किया जाएगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों में सफर होगा सस्ता.
अगर ईंधन की बात की जाए तो वर्तमान में लखनऊ में पेट्रोल लगभग 97 रुपये, डीजल लगभग 90 रुपये और सीएनजी का रेट लगभग 94 रुपये है. अगर व्यावसायिक बिजली की बात की जाए तो प्रति यूनिट लगभग ₹8 है. अगर इन ईंधन से चलने वाले वाहनों के एवरेज की बात की जाए तो सीएनजी टेंपो का औसत लगभग 25 किलोमीटर प्रति किलो आता है. सीएनजी ऑटो का औसत लगभग 35 किलोमीटर प्रति किलो आ रहा है. यानी लगभग साढ़े तीन और चार रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च इन वाहनों के संचालन पर आता है. जानकारी के मुताबिक ई रिक्शा या फिर ई ऑटो की पूरी बैटरी की चार्जिंग में लगभग 50 से 55 रुपये का खर्च आता है और इसका औसत 130 से लेकर 150 किलोमीटर आता है. लिहाजा, एक यूनिट की चार्जिंग में लगभग 17 किलोमीटर इलेक्ट्रिक ऑटो दौड़ती है. कम कीमत में इलेक्ट्रिक ऑटो अच्छा एवरेज भी देती है और किराए के रूप में यात्रियों से चालक अन्य साधनों की तरह ही पैसा ज्यादा वसूल करते हैं.
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलेगी रियायत.
कम हो सकता है किराया :परिवहन विभाग के सीनियर अफसर बताते हैं कि अभी तक अनुमान यह लगाया गया है कि अन्य ईंधन वाहनों की तुलना में इलेक्ट्रिसिटी से संचालित इलेक्ट्रिक वाहनों का ईंधन खर्च कम है. लिहाजा, इनका किराया भी अन्य परिवहन साधनों से कम तय किया जाएगा. समिति का यह भी मत है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर सरकार सब्सिडी दे रही है. परमिट से छूट हैं. ऐसे में इनका खर्च काफी कम हो जाता है. इसलिए इनका किराया कम होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों से सफर करने पर यात्रियों को अपनी जेब कम ढीली करनी पड़ेगी. इससे उनका सफर बेहतर हो सकेगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलेगी रियायत. परिवहन विभाग और परिवहन निगम को जनता को सौगाते देनी हैं, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समय न मिल पाने से यह योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं. जनता को इनका लाभ मिलने में देरी हो रही है. विभाग और निगम की तरफ से लगातार प्रयास जारी हैं लेकिन पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का समय पिछले कई माह से मिल ही नहीं पा रहा है लिहाजा, जनता को मिलने वाले फायदे भी अधर में लटके हुए हैं. अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही मुख्यमंत्री समय देंगे और इन योजनाओं का लोकार्पण करेंगे.
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलेगी रियायत.
लखनऊ में इलेक्ट्रिक वाहनों का किराया
लखनऊ में इलेक्ट्रिक वाहनों का किराया तय करने को लेकर अब कवायद तेज हो गई है. सभी तरह के परिवहन साधनों का किराया तय है, लेकिन लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर जो इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ रहे हैं उनका अभी तक कोई किराया निर्धारित नहीं है. ऐसे में इन इलेक्ट्रिक वाहनों का भी किराया तय करने के लिए अब लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने परिवहन विभाग में एक प्रस्ताव सौंपा है. इस प्रस्ताव में ई-रिक्शा के साथ ही ई ऑटो का भी किराया तय करने की मांग की गई है. यह भी सुझाव दिया गया है कि ई ऑटो का किराया कितना रखा जा सकता है. हालांकि किराया परिवहन विभाग को तय करना है.
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलेगी रियायत. ई ऑटो का किराया अब तक परिवहन विभाग ने तय नहीं किया है. इसी बात को लेकर आए दिन यात्रियों और चालकों से किराये को लेकर झड़प हो रही है. लखनऊ ऑटो रिक्शा थ्री व्हीलर संघ ने ई ऑटो का किराया निर्धारित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है. इस प्रस्ताव को संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर तैनात एसटीए सचिव को सौंपा है. जिसमें इलेक्ट्रिक ऑटो का किराया निर्धारण करने के लिए ड्राइवर का वेतन, वाहन फ्यूल, बीमा और मरम्मत खर्च शामिल किया गया है. इसी आधार पर एक किलोमीटर तक के लिए ई ऑटो का किराया आठ रुपये 45 पैसा तय किया है. लार्ट्स के अध्यक्ष पंकज दीक्षित ने बताया कि इलेक्ट्रिक चालित आटोरिक्शा का औसत संचालन रोजाना 120 किलोमीटर है. संचालन लागत प्रति किलोमीटर 8.45 रुपये हो रहा है. ढाई किलोमीटर के लिए 21 रुपये 12 पैसे खर्च की गणना की गई है. रात का किराया निर्धारित किराये से 25 फीसदी अधिक होना चाहिए. वेटिंग चार्ज दो रुपये प्रति मिनट निर्धारित करने के संबंध में राज्य परिवहन प्राधिकरण की सचिव को सौंपा है.
इलेक्ट्रिक वाहनों में सफर होगा सस्ता. नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड
उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम को नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड जारी करना है, जो बनकर तैयार है. मुख्यमंत्री इसका शुभारंभ करें तो यात्रियों को यह कार्ड उपलब्ध कराया जा सके. जिससे सफर के दौरान एक ही कार्ड से सभी परिवहन साधनों में यात्रा करने का लाभ यात्री उठा सके. इसके अलावा परिवहन निगम को अपने बस स्टेशनों पर निर्भया फंड से एलईडी लगानी है. इसका भी शुभारंभ मुख्यमंत्री के हाथ से ही कराना है. ये भी अभी नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं बसों में एंटी स्लीप डिवाइस लगाने की भी योजना है. जिससे ड्राइवर को नींद की झपकी आने से पहले ही अलार्म बजे और दुर्घटना होने से बच जाए. यह भी मुख्यमंत्री के समय मिलने के बाद ही हो पाना संभव है. परिवहन निगम की इन योजनाओं को मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार है.
इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर मिलेगी रियायत.
यूपीएसआरटीसी के अलावा परिवहन विभाग को इलेक्ट्रिक वाहनों की सब्सिडी का लाभ वाहन स्वामियों को देना है. इसका भी कार्यक्रम मुख्यमंत्री के हाथों ही संपन्न होना है. जब मुख्यमंत्री सब्सिडी का सर्टिफिकेट वाहन स्वामियों को दें तो उन्हें इसका लाभ मिले. इसके अलावा परिवहन विभाग की 38 हाईटेक इंटरसेप्टर वाहन सड़क पर उतरने को पूरी तरह तैयार हैं. फिलहाल सभी योजनाओं के लोकार्पण का अब मुख्यमंत्री के ग्रीन सिग्नल का इंतजार है.
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