हैदराबाद: उत्तर प्रदेश में चुनाव(UP Assembly Elections 2022) से पहले चुनाव आयोग ने एक सूची जारी कर 257 उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित कर दिया. वहीं, अयोग्य घोषित करने के पीछे चुनाव आयोग को खर्च का ब्यौरा नहीं देने की बात कही जा रही है. आयोग ने यह घोषणा तब की है, जब सूबे में चुनाव को बामुश्किल कुछ माह शेष बचे हैं. ऐसे में आयोग के इस फैसले से सभी दंग हैं. सूची में कुल 257 लोगों के नाम शामिल हैं, जो अब विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ सकेंगे.
वहीं, आयोग के इस फैसले ने उन नेताओं को बड़ा झटका दिया है, जो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे और उनका जारी सूची में नाम शामिल है. खैर, अब आयोग के अयोग्य करार दिए जाने के बाद आगे उनकी राह आसान नहीं होगी.
257 उम्मीदवारों का चुनाव आयोग ने काटा पत्ता हालांकि, चुनाव आयोग की ओर से बताया गया कि 257 उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करने के पीछे चुनाव आयोग को खर्च का ब्यौरा नहीं देना है. दरअसल, आयोग ने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इन लोगों के चुनाव लड़ने और परिणाम आने के एक माह बाद के समय से और सही ढंग से अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को नहीं मुहैया कराया था.
इसे भी पढ़ें -सीएम योगी ने कहा, जो काम विपक्ष के लिए था असंभव उसे पीएम मोदी ने किया संभव
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक इन 257 लोगों में से 34 लोग 2019 का लोकसभा का चुनाव लड़े थे, बाकी 213 लोग 2017 में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी थे. इन 257 लोगों में सबसे ज्यादा संख्या निर्दलीय उम्मीदवारों की है, लेकिन कुछ प्रमुख सियासी पार्टियों के उम्मीदवारों ने भी पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद अपने चुनावी खर्च का ब्यौरा आयोग को सही ढंग से नहीं दिया था. कुछ तो चुनाव बाद कोई ब्यौरा ही नहीं दिए थे. इसमें सबसे ज्यादा संख्या निर्दलीय प्रत्याशियों की रही है.
आयोग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक खर्च का ब्यौरा न देने वाले पार्टियों में सबसे अधिक 12 प्रत्याशी राष्ट्रीय लोकदल के हैं. इसके बाद 6 पीस पार्टी के , 5 एनसीपी, 4-4 प्रत्याशी सीपीआई और बसपा के हैं. जबकि एआईएमआईएम के 2 और निषाद पार्टी के दो प्रत्याशी हैं.
257 उम्मीदवारों का चुनाव आयोग ने काटा पत्ता इसके अलावा सीपीआईएमएल के दो और कांग्रेस पार्टी के एक उम्मीदवार को चुनाव खर्च का विवरण नहीं जमा किए जाने पर आयोग ने आयोग्य घोषित कर दिया है. बता दें कि इन सभी को एक साल के लिए चुनाव लड़ने से रोका गया है. यह अवधि अगले साल फरवरी-मार्च में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद ही खत्म होगी.
साल 2022 में विधानसभा चुनाव के लिए आयोग ने प्रत्याशियों के चुनाव खर्च की रिपोर्ट मॉनिटरिंग किए जाने के लिए चुनाव खर्च पर्यवेक्षक के साथ ही आयकर विभाग के अधिकारियों के विशेष जांच दल की एक्टिव किए जाने की व्यवस्था की है. इस बार चुनाव में मतदाताओं को वोट के बदले नोट और शराब आदि दिए जाने पर भी सख्त निगरानी की जाएंगी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप