लखनऊ: वरिष्ठ वैज्ञानिक रहे डॉ. कृष्ण पाल सिंह व उनकी पत्नी ने अपनी दो बेटियों और दामादों से स्वयं व संपत्ति की सुरक्षा के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की है. याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए न्यायालय ने जिलाधिकारी लखनऊ को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है व छह सप्ताह में कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है.
यह आदेश न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायाधीश सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने डॉ. कृष्ण पाल सिंह व उनकी पत्नी की याचिका पर दिया. याची दंपति का कहना है कि वे अलीगंज में पुरनिया रेलवे क्रॉसिंग के पास अपने मकान में रहते हैं. उनकी तीन पुत्रियां हैं, जिनमें से एक अपने परिवार के साथ कनाडा में रहती है, जबकि दो पुत्रियां व उनके पति याचीगण के अलीगंज स्थित मकान पर कब्जा करना चाहते हैं.
उनकी पुत्रियों व दामादों ने याचीगण के उक्त मकान में सुधा यादव नाम की एक अजनबी महिला को रख दिया है, जिसकी वजह से याचीगण के सामाजिक जीवन में खलल पड़ गया है. याचियों ने जिलाधिकारी लखनऊ को 18 जून 2020 को एक प्रार्थना पत्र देते हुए स्वयं की व अपनी संपत्ति की सुरक्षा का अनुरोध किया, लेकिन जिलाधिकारी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचियों ने उक्त सुधा यादव नाम की महिला से अपना घर खाली कराने व दोनों बेटी-दामादों को मकान में हस्तक्षेप से रोकने के लिए परमादेश जारी किये जाने की मांग की है. याचियों ने अपने मकान के परिसर में सीसीटीवी लगाए जाने की अनुमति देने की भी मांग की है.
वरिष्ठ नागरिकों के सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन पर
न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण व कल्याण अधिनियम 2007 के तहत बनी नियमावली जिला प्रशासन और विशेषतः जिलाधिकारी को वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने का दायित्व देती है. जिलाधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि वरिष्ठ नागरिक सुरक्षित व सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें.
न्यायालय ने उक्त टिप्पणियों के साथ मामले में कार्रवाई के आदेश जिलाधिकारी को दिये हैं. साथ ही न्यायालय ने पूर्व में दिये गए एक आदेश के अनुपालन में भरण-पोषण अधिकारी की नियुक्ति, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ट्रिब्युनल के गठन और वरिष्ठ नागरिकों के जिला कमेटी के गठन के संबंध में सरकार द्वारा उठाए कदमों की जानकारी अगली सुनवाई पर देने के आदेश दिये हैं.