लखनऊ : शिक्षा विभाग के भी खेल निराले हैं, पहले जिन्हें खाली पोस्ट पर प्रिंसिपल बनाकर चार से पांच साल तक काम लिया. अब नई भर्ती होते ही उन्हीं प्रिंसिपल को सीधे बाहर का रास्ता दिखा दिया. राजकीय कॉलेजों में लखनऊ के 6 समेत प्रदेश भर के 77 प्रभारी प्रिंसिपल में 67 प्रिंसिपल अब तक बाहर हो गए हैं. यह प्रिंसिपल अब अपनी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं. इसमें सबसे बड़ी परेशानी ये है कि जब तक इन प्रभारी प्रिंसिपल को पोस्टिंग नहीं मिलेगी, तब तक इनका वेतन भी रिलीज नहीं होगा. ऐसे में कई प्रभारी तो डीआईओएस में लग गए हैं जबकि कई समय काटने को मजबूर हैं. हालांकि, डीआईओएस ऑफिस में लगने के बाद भी इनको वेतन नहीं मिलेगा.
खाली पद नहीं भरे और प्रभारी हुए बाहर : दीपावली से पहले माध्यमिक शिक्षा विभाग में 213 प्रिंसिपल की नई भर्ती हुई. मुख्यमंत्री ने सभी प्रिंसिपल को नियुक्तिपत्र बांटे. इन प्रिंसिपल को नियुक्ति प्रदेश के उन स्कूलों में की गई, जहां पहले से प्रभारी प्रिंसिपल मौजूद थे. जबकि, प्रदेश के तकरीबन 1200 राजकीय स्कूलों में तमाम प्रिंसिपल की पोस्ट खाली थी. प्रभारी प्रिंसिपल की जगह नियुक्ति देने के चलते उन्हें हटा दिया गया और अगली पोस्टिंग के लिए उन्हें होल्ड पर डाल दिया गया. जबकि, प्रदेश में अभी तमाम स्कूलों में प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हैं. उधर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक के हस्ताक्षर के बाद भी इन्हें प्रभारी प्रिंसिपल बनाया गया था.
कई ने मांगे पद तो कुछ को जबरन बनाया : शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो प्रभारी प्रिंसिपल में दो तरह के शिक्षक शामिल हैं. इसमें एक तो हाईस्कूल के हेड मास्टर और दूसरे इंटर स्कूल के उप प्रधानाचार्य हैं. ट्रांसफर के समय हेड मास्टर ने अपनी पोस्टिंग के लिए प्रधानाचार्य की कुर्सी मांगी तो कुछ उप प्रधानाचार्य को विभाग ने जबरन इंचार्ज प्रधानाचार्य बना कर उनका पद ही भर दिया. उधर, प्रमोशन से उनके खाली मूल पद भी भर गए. अब प्रधानाचार्य की नियुक्ति होने के बाद जब इनको हटाया गया तो इनके मूल पद ही नहीं बचे. ऐसे में अब ये प्रभारी अपने मूल खाली पदों पर नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं.