लखनऊः शिक्षा में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में ई-लर्निंग पार्क विकसित किए जाने का निर्णय लिया गया है. प्रदेश के अनेक राजकीय महाविद्यालय पिछड़े क्षेत्रों में है, जहां पर इन आधुनिक तकनीकी संसाधनों की कमी है. ऐसे में ई-लर्निंग पार्क की सुविधा से शैक्षणिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा. यह बात डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कही.
यूपी के डिप्टी सीएम डाॅ. दिनेश शर्मा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार विशेषकर पिछड़े क्षेत्र के गरीब और वंचित छात्र-छात्राओं को शिक्षण कार्य से जुड़ी सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए संकल्पित है. प्रदेश के अनेक राजकीय महाविद्यालय पिछड़े क्षेत्रों में हैं, जहां पर आधुनिक तकनीकी संसाधनों की कमी है. इसलिए इन शिक्षण संस्थानों की कमियों को दूर करते हुए डिजिटल अंतर को समाप्त करने के लिए सरकार प्रभावी कदम उठा रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं
उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षण संस्थानों में ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कराई गई. लाॅकडाउन के पहले दो चरणों में 15 हजार शिक्षकों ने नौ लाख छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन उच्च शिक्षा उपलब्ध कराई है. इस दौरान यह पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इससे प्रदेश के ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
25 प्रतिशत छात्रों के पास ही ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा
मोनिका एस. गर्ग ने बताया कि राज्य में केवल 25 प्रतिशत छात्रों के पास ही स्मार्टफोन, लैपटॉप और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध है. इस डिजिटल अंतर को कम करने के लिए और तहसील व ब्लॉक स्तर पर संचालित 120 राजकीय महाविद्यालयों के छात्रों को ध्यान में रखते हुए ई-लर्निंग पार्क विकसित करने की योजना विभाग ने बनाई है. ऐसे पार्क राजकीय महाविद्यालयों में स्थापित किए जाएंगे, जहां कंप्यूटर, इंटरनेट कनेक्शन, वाई-फाई की सुविधा उपलब्ध रहेगी. साथ ही उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा भी उपलबध रहेगी.
डिजिटल लाईब्रेरी में 71 हजार से अधिक ई-कंटेंट
अपर मुख्य सचिव मोनिका एस. गर्ग ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग छात्रों के लिए डिजिटल लाईब्रेरी भी विकसित कर रहा है. इस समय डिजिटल लाईब्रेरी में 134 विषयों के 71 हजार से अधिक ई-कंटेंट उपलब्ध हैं, जिन्हें 23 विश्वविद्यालयों और कई महाविद्यालयों के शिक्षकों ने तैयार किया है. यह पाठ्य सामग्री छात्रों को निशुल्क उपलब्ध है.