लखनऊ. यूपी बोर्ड परीक्षा को बेहद जल्दबाजी में कराया जा रहा है. ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के कारनामे यह बयां कर रहे हैं. यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए ऐसे शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई जो अब जिंदा ही नहीं हैं. यही नहीं, कई ऐसे सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल भी हैं जो परीक्षा में शिक्षकों की ड्यूटी लगने के कारण बंदी की कगार पर पहुंच गए है.
ऑनलाइन ड्यूटी में सरोजिनीनगर ब्लॉक के बेसिक स्कूल सदरौना के जगदंबा प्रसाद यादव की ड्यूटी पर्यवेक्षक के रूप में लगायी गई है. जगदंबा प्रसाद का पहले ही निधन में हो चुका है. इसी प्रकार चिनहट ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय खाले देवरिया में मृत शिक्षिका कुसुम यादव की तैनाती भी पर्यवेक्षक के रूप में कर दी गई है.
यूपी बोर्ड परीक्षा में पहली बार प्रयागराज स्थित बोर्ड कार्यालय से ऑनलाइन माध्यम से शिक्षकों की कक्ष निरीक्षक के रूप में ड्यूटी लगाई गई है. बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सरकारी प्राइमरी और प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि परिषदीय शिक्षकों की यूपी बोर्ड परीक्षाओं में अनियमित तरीके से ड्यूटी लगाई गई है.
संघ के जिला संयोजक डाॅ. प्रभाकांत मिश्रा ने कहा कि कई ऐसे स्कूल हैं जहां के सभी शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी गई है. कई परिषदीय स्कूल तालाबंदी की कगार पर है. विकलांग शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड बहुत दूर लगा दी गई है.
प्राइमरी स्कूल में परीक्षाओं के बाद 31 मार्च को परिणाम और एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होना है. परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों पर लगातार बोर्ड परीक्षा ड्यूटी में शामिल होने के लिए दबाव भी बनाया जा रहा है. बावजूद इसके राजधानी लखनऊ के ही कई स्कूलों कि शिक्षकों की तरफ से साफ तौर पर लिख कर दे दिया गया है कि वह परीक्षा में ड्यूटी नहीं कर पाएंगे.
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लखनऊ बीएसए ने लिखा पत्र
लखनऊ के बीएसए विजय प्रताप सिंह ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव को पत्र लिखा है. इस पर उन्होंने सचिव से मार्गदर्शन मांगा है. उन्होंने बताया कि कई स्कूल या तो एकल शिक्षक वाले हैं या वहां एक भी शिक्षक नहीं बचा है. ऐसे में अगर यहां के शिक्षकों को बोर्ड परीक्षा की ड्यूटी के लिए भेजा जाता है तो इन स्कूलों के संचालन में ही दिक्कत पैदा हो जाएगी.
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