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अफसरों की लापरवाही व अवैध निर्माण से बिगड़ा आवासीय कॉलोनियों का स्वरूप

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Published : Mar 21, 2021, 1:15 PM IST

राजधानी लखनऊ की आवासीय कॉलोनियों का स्वरूप पूरी तरह से कमर्शियल हो गया है और इसकी वजह अफसरों की लापरवाही है. अवैध निर्माण करने वालों को अभियंताओं के भ्रष्टतंत्र का संरक्षण मिलता गया. अवैध निर्माण के चलते आवासीय कॉलोनी पूरी तरह से कमर्शियल होती चली गईं. अब लोगों को तमाम तरह की समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
लखनऊ विकास प्राधिकरण

लखनऊ : लखनऊ विकास प्राधिकरण की यह जिम्मेदारी है कि वह आवासीय कालोनियों का स्वरूप बिगड़ने ना दे. लेकिन अभियंताओं और वरिष्ठ अफसरों की मिलीभगत की वजह से अवैध निर्माण को लगातार संरक्षण मिलता चला गया. अब यह स्थिति बेहद खतरनाक हो चुकी है. लखनऊ की गोमती नगर कॉलोनी, गोमती नगर विस्तार कॉलोनी, अलीगंज कॉलोनी, आलमबाग कॉलोनी, आशियाना कॉलोनी, एलडीए कॉलोनी, महानगर कॉलोनी सहित तमाम ऐसी महत्वपूर्ण कॉलोनी हैं, जिनका स्वरूप बिगड़ कर कमर्शियल हो गया है.

कॉलोनियों में खुल गए हैं कमर्शियल संस्थान

कॉलोनियों में बड़े-बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान घरों में चल रहे हैं. ऐसे में कॉलोनी के लोगों को परेशान होना भी स्वाभाविक है. लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी खानापूर्ति के लिए दिखावे के रूप में नोटिस जारी कर देते हैं और नोटिस जारी होने के बाद में कमीशनबाजी का भी खेल होता है. लेकिन लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से जब इस बारे में सवाल किया जाता है तो वह लोग इस पर कुछ भी बोलने से इंकार कर देते हैं. लेकिन अफसरों की लापरवाही की वजह से आज लखनऊ की आवासीय कालोनियों का स्वरूप पूरी तरह से बिगड़ गया है.

घरों में चल रहे हैं होटल, स्पा, सहित अन्य संस्थान

लखनऊ की आबादी कॉलोनियों के घरों में होटल, रेस्टोरेंट, बैंक, स्पा व बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान खुलेआम संचालित हो रहे हैं. ऐसे में जाम की समस्या भी लोगों को काफी परेशान करती हैं. जब अवैध निर्माण होता है या कमर्शियल संस्थान खुलते हैं तो लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारी और अभियंता सिर्फ नोटिस भेजते हैं और नोटिस भेजने के बाद पैसे का लेनदेन शुरू हो जाता है.

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सीएम से घरों में चल रहे कमर्शियल संस्थान बंद करने की मांग

लखनऊ विकास प्राधिकरण के कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहते हैं कि यह स्थिति आज जो बिगड़ी है और खतरनाक स्थिति तक पहुंच चुकी है, उसके जिम्मेदार लखनऊ विकास प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी हैं. जब अवैध निर्माण होता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई के बजाय पैसे का खेल खेला जाता है और बाद में स्थिति खतरनाक होती चली जाती है. अवैध निर्माण के खिलाफ अगर समान नीति के अनुसार कठोर कार्रवाई की जाए तो इतनी खतरनाक स्थिति आज नहीं होती. मुख्यमंत्री से हमारी स्पष्ट मांग है कि जो शहर की आवासीय कॉलोनी हैं वहां जो कमर्शियल संस्थान लोगों के घरों में खुल गए हैं उन्हें हटाया जाए और कार्रवाई की जाए.

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