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पारिवारिक न्यायालय में अजब-गजब केस, ईगो के कारण बदल जाते हैं पति पत्नी के रास्ते - वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार

पारिवारिक न्यायालय का नाम आते ही पति-पत्नी के बीच के विवाद, नोकझोंक और लड़ाई झगड़े की तस्वीर सामने आती है. पति पत्नी के बीच वैचारिक मतभेदों की खाई जब इतनी गहरी हो जाती है कि किसी बात पर दोनों के बीच कोई आम सहमति नहीं बन पाती है. ऐसे में तलाक की नौबत बन जाती है.

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Published : Dec 21, 2022, 7:07 PM IST

जानकारी देते पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार.

लखनऊ : राजधानी के परिवारिक न्यायालय में रोजाना 50 से 60 केस दर्ज होते हैं. ऐसे में रोजाना चार से छह केस ऐसे आ जाते हैं, जिनके तलाक के कारण काफी अलग होते हैं. छोटी-छोटी बातों पर शादीशुदा जोड़े अदालत तक पहुंच जाते हैं. परिवारिक न्यायालय की काउंसलर्स का कहना है कि कोई भी पक्ष झुकना नहीं चाहता. ईगो के कारण न जाने कितने रिश्ते यहां बर्बाद होते हैं और सालों केस चलता रहता है. इसके बाद दोनों की जिंदगी अलग-अलग पटरी पर हो जाती है.

पारिवारिक न्यायालय में एक केस आया जिसमें पत्नी ने आरोप लगाया कि पति समय नहीं देता है. ज्यादातर समय मोबाइल में जाता है. बरेली की रहने वाली एक युवती (वादी) ने बातचीत के दौरान बताया कि पिछले कई साल से वह पारिवारिक न्यायालय के चक्कर काट रही है. वर्ष 2017 में शादी के बाद पति का व्यवहार बदल गया. वर्ष 2018 में पारिवारिक न्यायालय में तलाक की अर्जी दी. युवती का कहना है कि पति के पास मेरे लिए समय नहीं है. वैसे तो पूरा दिन बाहर रहते हैं, लेकिन जब घर पर भी आते हैं तो भी मोबाइल में ही बिजी रहते हैं. ऐसे पति होने से अच्छा है कि मैं तलाक ले लूं. युवती के मुताबिक शादी दो व्यक्ति इसलिए करते हैं ताकि एक दूसरे का सहारा बन सकें और एक दूसरे के लिए खड़े रह सकें. युवती ने कहा कि वर्ष 2017 में हमने प्रेम विवाह किया था. परिजन मेरे इस शादी के खिलाफ थे.

एक और केस में युवती ने बातचीत के दौरान बताया कि शादी के बाद पति से हर बात बात पर नोकझोंक होती रहती है. वर्ष 2020 में कोविड काल में हमारी शादी हुई. शादी के बाद चीजें पहले जैसी नहीं थी. पहले मेरे पति मेरे साथ काफी खुश रहा करते थे, घर के कामों में भी मेरी मदद किया करते थे. अगर मैं कुछ कह देती थी तो उसे तुरंत स्वीकार कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब उन्हीं बातों पर झगड़ा शुरू हो गया है. मेरी हर बात मानने वाला शख्स आज मेरी एक भी बात नहीं सुन रहा है. इतनी सारी चीजों से तंग आकर मैंने कोर्ट में तलाक की अर्जी दी. पिछले दो साल से तारीख पर तारीख मिल रही है. हालांकि अभी तलाक नहीं मिला.

वहीं एक वादी पति ने बताया कि वह अपनी पत्नी से काफी ज्यादा परेशान है. उसने कहा कि व्यक्ति के पास जितना होना चाहिए उसी में खुश होना चाहिए, लेकिन पत्नी की डिमांड ज्यादा है जिसे पूरा नहीं कर पाने की वजह से रोज घर में लड़ाई झगड़ा होता है. वादी पति ने कहा कि वर्ष 2018 में शादी हुई इसके बाद पत्नी महंगी महंगी चीजों की डिमांड करती है. जो मैं पूरी नहीं कर पाता हूं तो लड़ाई झगड़ा होता है. पत्नी समझती नहीं है कितना पैसा मैं कहां से लाऊं. इन्हीं सब कारणों की वजह से न्यायालय में वर्ष 2020 में तलाक की अर्जी डाला. हालांकि अभी केस चल रहा है.

पारिवारिक न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धांत कुमार (Family Court Senior Advocate Shiddhant kumar) ने बताया कि पारिवारिक न्यायालय में जितने भी केस आते हैं सब तलाक के आते हैं. हां सभी के कारण अलग-अलग होते हैं. सालों से यहां काम करते आ रहे हैं तो यहां पर बहुत कुछ बदलाव देखा. ऐसा नहीं है कि केस पहले नहीं फाइल होते थे पहले भी तलाक के केस आते थे, लेकिन अगर उन्हें काउंसिलिंग दी जाए थोड़ा समझा-बुझा दिया जाए तो मामले सुलझ जाते थे. पहले पति-पत्नी को एक-दूसरे की अहमियत बताते थे तो वह बातों को समझते थे, लेकिन आज का दौर नया है. यहां अब नए सोच की युवा पीढ़ी हैं जो पहले तो प्रेम विवाह करते हैं, लेकिन बाद में तलाक की अर्जी डालते हैं. शादी से हटने के लिए केस भी एक साल के बाद ही होता है. लोग शादी करते हैं और एक हफ्ते बाद तलाक के लिए चले आते हैं. इसे म्यूच्यूअल डिवोर्स कहते हैं. कोई किसी से झुकना नहीं चाहता, लेकिन पहले हम काउंसिलिंग करते हैं. जब दोनों नहीं मानते हैं और चीजों को नहीं समझते हैं तब उसके बाद उन्हें तलाक दिलवाते हैं.

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