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DSP murder Case : पारिवारिक उलझनों में घिरे राजा भैया की मुसीबत बढ़ाएगी सीबीआई जांच - राजा भैया का पारिवारिक विवाद

प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर सुर्खियों में हैं. इस बार चर्चा का कारण पुराने केस डिप्टी एसपी जिया उल हक हत्याकांड के कारण है. पहले से पत्नी से विवाद में घिरे राजा भैया की मुसीबत सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी एसपी हत्याकांड में सीबीआई जांच की संस्तुति कर दी है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 29, 2023, 12:52 PM IST

लखनऊ : 10 साल पहले प्रतापगढ़ जिले के कुंडा क्षेत्र स्थित बल्लीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की हत्या के बाद उपजे विवाद को शांत करने पहुंचे डिप्टी एसपी जिया उल हक की हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में कुंडा विधायक रघुराज प्रताप उर्फ राजा भैया को भी आरोपी बनाया गया था. इसके बाद राजा भैया को मंत्रि परिषद से इस्तीफा देना पड़ा था. तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति के बाद 8 मार्च 2013 को घटना की सीबीआई जांच शुरू हुई थी. जुलाई 2013 में सीबीआई ने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी. तब सीबीआई ने 14 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें राजा भैया और उनके करीबियों के नाम नहीं थे. बाद में ट्रायल कोर्ट ने आरोप पत्र को खारिज कर दोबारा जांच की सिफारिश की थी. इसके विरोध में सीबीआई ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जहां सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट मान ली गई थी. अब अब सुप्रीम कोर्ट से मामले की दोबारा सीबीआई जांच के आदेश के बाद राजा भैया की मुसीबतें बढ़नी तय हैं.

फिर मुसीबत में राजा भैया. फाइल फोटो




पिछले ढाई दशक से भी अधिक समय से कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया अलग-अलग कारणों से चर्चा में रहे हैं. कुंडा रियासत के वारिस रघुराज प्रताप को बाहुबली नेता माना जाता है. वह लगातार निर्दलीय विधायक के रूप में चुनकर विधानसभा पहुंचते रहे हैं. विगत विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने जनसत्ता दल नाम की पार्टी गठित कर उससे चुनाव लड़ा और जीतने में सफल रहे. बसपा सरकार में जब मुख्यमंत्री मायावती अपने एक्शन को लेकर चर्चा में थीं, तब कुंडा में राजा भैया के आवास और बेंती तालाब आदि पर छापेमारी कराई थी. इस छापेमारी में तमाम अवैध हथियार और अन्य दस्तावेज बरामद हुए थे. इसके बाद रघुराज प्रताप सिंह और उनके पिता को जेल जाना पड़ा था. कभी मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे राजा भैया उनके पुत्र अखिलेश यादव की मित्रता के कारण जाने जाते रहे. फिर जिया उल हक हत्याकांड हुआ और राजा भैया सुर्खियों में आए. वर्ष 2022 के चुनाव के पहले अखिलेश यादव और राजा भैया में तीखी बयानबाजी सुर्खियों में रही. कुछ माह से राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी कुमार सिंह के बीच पारिवारिक विवाद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं. जिसमें राजा भैया और भानवी न्याय के लिए अदालत में हैं. स्वाभाविक है कि पारिवारिक कारणों से पहले से ही परेशानियों से घिरे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया सीबीआई जांच की दूसरी बड़ी मुसीबत से गिरने वाले हैं.

फिर मुसीबत में राजा भैया. फाइल फोटो




रघुराज प्रताप उत्तर प्रदेश के चुनिंदा ऐसे नेताओं में शुमार हैं, जिनकी पैठ सभी राजनीतिक दलों में है और प्रदेश अथवा देश के सभी बड़े नेताओं से उनके निजी रिश्ते भी बताए जाते हैं. ऐसे में सीबीआई जांच उनके लिए कितनी बड़ी मुसीबत साबित होगी यह समय ही बताएगा. क्योंकि अपने रिश्तों के दम पर वह किसी भी मुसीबत से बच निकलने का मादा रखते हैं. शायद इसी कारण वह लगातार निर्दलीय राजनीति करते रहे कि उन पर किसी दल का ठप्पा न लगे. राजा भैया ने 30 नवंबर 2018 को जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के नाम से अपनी पार्टी गठित की थी. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने कई सीटों पर प्रत्याशी उतारे जाना कि उन्हें कोई सफलता नहीं मिली. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में जनसत्ता दल ने दो सीटों पर जीत हासिल की. आगामी चुनाव में राजा भैया और उनकी पार्टी की क्या रणनीति होती है, यह देखने वाली बात होगी. राजा भैया सीबीआई की मुसीबत से बच पाते हैं या सीबीआई के चंगुल में फसेंगे यह भी भविष्य ही बताएगा. हालांकि रघुराज प्रताप सिंह अपने जीवन के सबसे मुश्किल हालात और चुनौतियों से गुजर रहे हैं इसमें कोई दो राय नहीं है.

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