लखनऊ: मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने स्वामित्व योजना और भारत सरकार की एग्रीस्टैक योजना की प्रगति की समीक्षा की. कहा कि अवशेष ग्रामों की घरौनी तैयार कराने का कार्य नियमित समीक्षा कर निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूरा कराया जाए. कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराने के लिए प्रतिस्पर्धी माहौल तैयार किया जाए. अच्छा कार्य करने वाले जनपदों के नामों को पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाए और उन्हें सम्मानित कराया जाए. उन्होंने कहा कि नवीन खतौनी (रियल टाइम खतौनी) के क्रियान्वयन में सही खातेदारों के नाम और भूमि का विवरण एक क्लिक पर प्राप्त होंगे, जिससे योजनाओं के क्रियान्वयन में शुचिता और पारदर्शिता आएगी. विचाराधीन वादों का विवरण प्राप्त होने से विवादित भूमियों के क्रय-विक्रय और तद्क्रम में उत्पन्न विवादों में कमी आएगी. कृषि विभाग को यूनिक फार्मर बनाने में सुगमता आएगी. भूमि अर्जन करने वाली संस्थाओं को भूमि के अद्ययावधिक स्वामित्व की उपलब्धता होगी.
फसल सर्वेक्षण, किसान सम्मान योजना के लिए पात्र लाभाथिर्यों का चयन सुगमता और विभिन्न प्रकार की सरकारी फसल खरीद में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में रियल टाइम खतौनी परिवर्तन का कार्य माह जून 2023 तक प्रत्येक दशा में पूर्ण करा लिया जाए. बैठक में बताया गया कि स्वामित्व योजना के अंतर्गत अब तक 90,842 ग्रामों का ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा हो गया है, अवशेष 65 का कार्य प्रगति पर है. सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा प्राप्त 67,784 ग्रामों के नक्शों के सापेक्ष स्थानीय पड़ताल के पश्चात 51,382 ग्रामों के मानचित्र सर्वे ऑफ इंडिया को वापस कर दिए गये हैं, जिसके उपरान्त सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा 36981 ग्रामों के प्रपत्र-7 /मानचित्र-2 तैयार कराये गये हैं. अन्तिम रूप से 34801 ग्रामों के प्रपत्र-10 (घरौनी) तैयार हो चुकी हैं. अब तक कुल 51,32,192 घरौनियों तैयार हो चुकी है. अवशेष ग्रामों में घरौनी तैयार करने की समय सीमा 30 जून, 2023 निर्धारित की गई है.
भारत सरकार की एग्रीस्टैक योजना की प्रगति की समीक्षा के दौरान बताया गया कि भू-लेख खसरा के आर0सी0 प्रपत्र-4 को संशोधित कर आरसी प्रपत्र-4क को दिनांक 12 फरवरी, 2021 को कम्प्यूटरीकृत किया गया. फसली वर्ष 1428 (01 जुलाई, 2020) फसली के खसरे पर ऑनलाइन फीडिंग की जा रही है. फसली वर्ष 1430 में खरीफ फसल का 86.09 प्रतिशत फीडिंग का कार्य पूरा हो चुका है. भू-नक्शों की जियारिफरेन्स कराने के लिए लगभग 96 प्रतिशत डिजीटाईज और जीआईसी रेडी भू-मानचित्र राजस्व परिषद उप्र के पास उपलब्ध हैं. नेशनल रिमोट सेन्सिंग सेन्टर के पास प्रदेश के पूर्ण क्षेत्रफल के 70-75 प्रतिशत क्षेत्रफल को कवर करते हुए सेटेलाईट इमेज उपलब्ध हैं, जिसमें से 47.75 प्रतिशत) सेटेलाईट इमेज राजस्व परिषद को प्राप्त हो चुकी हैं, अवशेष को प्राप्त करने की कार्रवाई गतिमान है.