लखनऊ :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के छह लाख 59 हजार 631 गांवों के करोड़ों लोगों को उनकी आवासीय भूमि पर मालिकाना हक देने के लिए ढाई वर्ष पहले 'प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना' का शुभारंभ किया था. अब तक गांवों की आवासीय भूमि पर लोगों के पास कोई मालिकाना हक संबंधी दस्तावेज नहीं होता था. कब्जे के आधार पर ही किसी को भूमि का मालिक माना जाता था. इस योजना के पूरी तरह से लागू हो जाने के बाद ग्रामीणों को न सिर्फ अपनी आवासीय भूमि पर मालिकाना हक मिल जाएगा, बल्कि उन्हें गृह ऋण जैसी अनेक सुविधाएं भी मिल सकेंगी. उत्तर प्रदेश के एक लाख 7753 गांवों सहित पूरे देश में 2024 तक इस योजना को पूरा किए जाने का लक्ष्य है. प्रदेश में भी इस योजना पर तेजी से काम चल रहा है और लगभग एक लाख गांवों की ड्रोन मैपिंग का काम पूरा किया जा चुका है.
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वे (फाइल फोटो) राजस्व विभाग की आयुक्त मनीषा त्रिघाटिया ने बताया कि 'स्वामित्व योजना का काम प्रगति पर जारी है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग समस्त जिलों के 90,900 ग्रामों में अब तक ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है. साथ ही 34,193 ग्रामों की घरौनियां तैयार कर ली गई हैं. इस प्रकार अब तक कुल 50,58,229 घरौनियां तैयार हो चुकी हैं, जिनमें 25 जून 2022 तक 34,69,879 घरौनियों को वितरित कर दिया गया है. वहीं 25 जून के बाद अब तक 15,88,350 नई घरौनियां तैयार कर ली गई हैं. उन्होंने बताया कि आगामी जून तक सभी ग्रामों में ड्रोन सर्वे का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा.'
प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना गौरतलब है कि गांवों में रहने वालों के लिए स्वामित्व योजना आने से ग्रामीणों को प्रॉपर्टी कार्ड के लिए योजना के तहत आवेदन नहीं करना पड़ेगा. सरकार जैसे-जैसे ग्रामीण भारत में सर्वे और मैपिंग का काम करती जाएगी, वैसे-वैसे लोगों को उनकी जमीन का प्रॉपर्टी कार्ड मिलता जाएगा. ध्यान रखने की बात यह है कि जिन लोगों के पास पहले से जमीन के कागजात मौजूद हैं, उन लोगों को तुरंत अपने कागजात की फोटो कॉपी करके जमा करानी होगी. वहीं जिन लोगों के पास जमीन के कागज नहीं हैं, उन्हें सरकार की तरफ से घरौनी नाम का डॉक्यूमेंट दिया जा रहा है. घरौनी मिलने से लोगों को कई फायदे होंगे. जमीन खुद के नाम होने पर गांव के लोग उसे आसानी से किसी को भी बेच या उसकी संपत्ति खरीद सकेंगे. इसके साथ ही वह बैंक से लोन आदि की सुविधा भी आसानी से उठा पाएंगे.
इस योजना का मकसद ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जाना था. योजना के जरिए सरकार तकनीक का इस्तेमाल करके ग्रामीण भारत को सशक्त और मजबूत बनाना चाहती है. ऐसे में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना किसी वरदान से कम नहीं है. इसके जरिए गांव के उन लोगों को अपनी जमीन का मालिकाना हक मिल रहा है, जिनकी जमीन किसी सरकारी आंकड़े में दर्ज नहीं है.
इस संबंध में पद्म पुरस्कार विजेता प्रगतिशील किसान रामसरन वर्मा कहते हैं 'सरकार की इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि गांवों के वह लोग, जो छोटी-छोटी जमीनों और नालियों के लिए लड़ाई करते रहते थे, अब वह समस्या दूर हो जाएगी. सभी को उनके कब्जे वाली भूमि का मालिकाना हक गांवों की भूमि संबंधी दुश्मनियों को सदा के लिए खत्म कर देगा. इसके साथ ही लोग घर बनवाने या व्यावसायिक उपयोग के लिए आसानी से ऋण भी प्राप्त कर सकेंगे. इससे न सिर्फ गांवों में आर्थिक खुशहाली आएगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी मिलेंगे.'
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