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कोरोना काल में दलालों की हो रही चांदी, लाइसेंस के नाम पर जमकर वसूली

राजधानी लखनऊ स्थित आरटीओ कार्यालय में ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं. लाइसेंस आवेदकों का कहना है कि स्लॉट कम होने से दलालों का सहारा लेना पड़ रहा है, लेकिन आरटीओ कार्यालय के अधिकारी इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं.

लॉकडाउन में हो रही दलाली.
लॉकडाउन में हो रही दलाली.

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Published : Jul 30, 2020, 12:15 PM IST

लखनऊ: कोरोना काल में लोग निजी वाहनों का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा कर रहे हैं. वाहन चेकिंग के दौरान बिना लाइसेंस वाले वाहनों को भारी जुर्माना भरना पड़ रहा है. ऐसे में आरटीओ कार्यालय में दोपहिया और चार पहिया वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस की डिमांड बढ़ गई है. लोगों की जरूरत को देखते हुए ब्रोकरों को काफी लाभ हो रहा है. ईटीवी भारत ने लाइसेंस आवेदकों से लाइसेंस व्यवस्था को लेकर पड़ताल की.

आरटीओ कार्यालय पर आवेदकों की भीड़.

दरअसल, कोरोना संक्रमण के रोकथाम को लेकर लोग काफी सजग हैं और काफी रियायतें बरत रहे हैं. इस दौरान लोग सार्वजनिक परिवहन को छोड़ निजी वाहनों का उपयोग ज्यादा से ज्यादा कर रहे हैं. हालांकि लॉकडाउन के पहले सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करते समय लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन इस समय डीएल को लेकर लोग सजग हो गए हैं.

सरकार की तरफ से ड्राइविंग लाइसेंस न पाए जाने पर चेकिंग के दौरान 1,000 रुपये तक का भारी-भरकम जुर्माने का प्रावधान है. ऐसे में लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, लेकिन परिवहन विभाग ने टाइम स्लॉट काफी कम कम कर दिए हैं. लोगों के आवेदन महीनों तक स्वीकार नहीं हो पा रहे हैं, जिसकी वजह से मजबूरन दलालों का सहारा लेना पड़ रहा है.

दलाल भी इस मजबूरी का जमकर फायदा उठा रहे हैं. आरटीओ कार्यालय पहुंचने वाले आवेदकों से दलाल 4 से 5 तक लाइसेंस के नाम पर वसूलते हैं. बिचौलिए लोगों को सही समय पर लाइसेंस उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दे रहे हैं. इसके एवज में आवेदकों को ठगी का शिकार होना पड़ रहा है.

आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस बनवाने आए आवेदकों ने बताया कि परिवहन विभाग की तरफ से लर्नर लाइसेंस और रिनुअल लाइसेंस के स्लॉट में काफी कमी की गई है. वहीं परमानेंट के स्लॉट वैसे ही हैं, जैसे कोरोना काल से पहले निर्धारित थे. स्लॉट कम होने के बाद लाइसेंस बनाने में काफी देरी हो रही है.

राजधानी के कल्याणपुर से ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस आवेदक संकल्प राय का कहना है कि वह एजेंट की मदद से लाइसेंस बनवा रहे हैं. इसके लिए एजेंट ने 5 हजार रुपये लिए हैं. लाइसेंस जल्द से जल्द चाहिए, इसीलिए बिना पैसा दिए लाइसेंस बन नहीं पा रहा है.

वहीं आरटीओ आरपी द्विवेदी का कहना है कि ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है कि इस मौके का फायदा दलाल उठा रहे हैं. कोरोना काल को देखते हुए स्लॉट कम कर दिए गए हैं. जहां पहले 400 लर्नर लाइसेंस बनते थे, उन्हें घटाकर अब 100 कर दिया गया है. वहीं 275 स्थाई लाइसेंस पहले की तरह आज भी बन रहे है. डुप्लीकेट और रिन्यूअल स्लॉट की संख्या पहले 200 थी, उसे घटाकर अब 66 कर दिया गया है.

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