लखनऊ : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चालक-परिचालकों की दिन रात की मेहनत से ही अधिकारियों को वेतन मिलता है, लेकिन उन्हीं अधिकारियों पर कर्मचारियों को ही प्रताड़ित करने का आरोप लग रहा है. आरोप है कि कर्मचारियों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उनकी तमाम ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान परिवहन निगम को करना है, लेकिन परेशान कर्मचारियों का पुरसाहाल लेने वाला कोई नहीं है. संविदा के तमाम चालक-परिचालक प्रबंधन के रवैए से खफा हैं. "ईटीवी भारत" से तमाम चालक-परिचालकों ने अपनी समस्याएं रखीं.
यूपी रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप पांडेय का कहना है कि आए दिन रोडवेज प्रशासन की तरफ से नए-नए नियम कानून चालक-परिचालकों पर थोप दिए जाते हैं. जब समस्याओं के समाधान के लिए कर्मचारी अधिकारियों के सामने आवाज उठाते हैं तो उनकी सुनवाई तक नहीं होती है. लोड फैक्टर को लेकर लगातार उच्चाधिकारी चालक-परिचालक पर दबाव बनाते हैं. कहीं भी यह नहीं लिखा है कि बस स्टेशन पर एक भी सवारी बस में हो और सड़क पर संचालन के लिए बस भेज दी जाए, लेकिन अब लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार पुंडीर इसी तरह के आदेश जारी कर रहे हैं. इससे रोडवेज के संविदा चालक परिचालक जो जरा सा वेतन पाते हैं उनकी इनकम तक नहीं आ पाती है. एक तरफ 25 सवारियों से कम होने पर बस निरस्त करने के आदेश होते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक भी सवारी होने पर बस ले जाने के लिए कह दिया जाता है. दूसरी बात लंबी दूरी की बस पर दो ड्राइवरों की ड्यूटी लगी लगा दी जाती है. ड्राइवरों को पैसा आधी आधी दूरी का ही दिया जाता है. यह कहां का न्याय है? नियमित चालकों की तरह ही संविदा चालकों की भी ड्यूटी लगाई जाए. उन्हें भी उतना ही पैसा दिया जाए.' प्रदीप पांडेय का कहना है कि 'कोरोना काल का अभी भी कई महीनों का पेमेंट परिवहन निगम की तरफ से नहीं किया गया है, जबकि इस दौरान चालक-परिचालकों ने कितनी मेहनत की थी. अपनी जान पर खेलकर लोगों को उनके घर पहुंचाया था. एक माह का सिर्फ पैसा दिया गया और पांच माह का पैसा अधिकारी डकारने की फिराक में हैं. अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हैं. लिहाजा मजबूरन मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है.
चालक कमल किशोर का कहना है कि 'इस समय बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है. इससे पहले इतनी दिक्कत कभी नहीं हुई. नए-नए नियम बना दिए जाते हैं. एक सवारी के साथ बस भेजने का दबाव बनाया जाता है. मेरा काफी पैसा फंसा हुआ है. उसका भुगतान तक नहीं किया जा रहा है. कोई सुनवाई नहीं होती है.' इसी तरह रोडवेज के अन्य चालक-परिचालकों का कहना है कि 'रोडवेज की इनकम लगातार घटती जा रही है. इसकी वजह है कि रोडवेज बस के समानांतर डग्गामार बसों का संचालन हो रहा है. प्राईवेट बसें रोडवेज से आधे किराए में यात्रियों को ले जाती हैं. डग्गामार पर परिवहन निगम के अधिकारी रोक नहीं लगा पा रहे हैं और लोड फैक्टर कम आने पर अपने ही चालक-परिचालकों के वेतन से कटौती कर लेते हैं. यह बिल्कुल भी सही नहीं है.' चालक परिचालकों की यह भी शिकायत है कि रात में ही रूट से आने के बाद कैश जमा करने के आदेश हैं, लेकिन बस स्टेशन पर रात में बस पहुंचने के बाद कैश काउंटर खुले ही नहीं मिलते. ऐसे में कैशबैक लेकर भटकना पड़ता है. डर इस बात का रहता है कि कहीं कोई कैश बैग न छीन ले जाए. कई बार अधिकारियों को इससे अवगत कराया गया, लेकिन कोई सुनता ही नहीं है.'