लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्मार्ट सिटी में शुमार होती है. यहां के नागरिकों को अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हालत यह है कि यहां की 15 लाख से ज्यादा आबादी पीने के साफ पानी के लिए तरस रही है. उनके घरों में गंदे और बदबूदार पानी की आपूर्ति हो रही है. लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. पार्षदों की शिकायतों के बाद ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई. पुराने लखनऊ में रहने वाले लोगों की हालत खराब है. सदर, चौक, हजरतगंज जैसे पुराने लखनऊ के इलाकों में रहने वाले 15 लाख से ज्यादा लोग इस समस्या से परेशान हैं. उदय गंज के रहने वाले बंटी ने बताया कि उनके घरों में आने वाले पानी में बदबू आती है. पानी का रंग पीला होता है. पीने के पानी के लिए उन्हें सरकारी टंकी तक जाना होता है.
विधानसभा, बापू भवन इलाके के यह हालात
यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल, 15 लाख की आबादी पीने के पानी के लिए तरस रही
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकों को अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन, हालत बद से बदतर हैं. आलम यह कि राजधानी की 15 लाख से ज्यादा आबादी पीने के साफ पानी के लिए तरस रही है. शिकायतों के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है. लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया.
महात्मा गांधी वार्ड में विधानसभा, बापू भवन का इलाका केवल राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश का सबसे पॉश इलाका माना जाता है. यहां के पार्षद अमित कुमार चौधरी ने बताया कि उनके इलाके में पानी की समस्या बहुत ज्यादा है. क्षेत्र में करीब 35,000 लोग रहते हैं. पहले पानी की समस्या थी तो ट्यूबवेल लगवाए गए, लेकिन, यहां सबसे ज्यादा पीने के पानी की समस्या है. लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. पुराने लखनऊ के करीब 50 वार्ड हैं. इनमें, सदर, गढ़ी कनौरा, मालवीय नगर, बालागंज, हजरतगंज जैसे कई इलाके शामिल हैं. प्रत्येक वार्ड में औसतन 30 से 35000 लोग हैं. इन इलाकों में पीने के बाद साफ पानी की सबसे ज्यादा समस्या है. इन इलाकों की वाटर लाइन और सीवर लाइन बेहद पुरानी है. लाइन के जर्जर होने के कारण साफ पानी की आपूर्ति घरों में प्रभावित हो रही है.