लखनऊ :12वां विश्व हिन्दी सम्मेलन आगामी 15 से 17 फरवरी तक नाडी (फिजी) में आयोजित किया जा रहा है, जिसका मुख्य विषय “हिन्दी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक“ रखा गया है. डॉ. सूर्यकान्त द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हिन्दी भाषा को समृद्ध करने में उल्लेखनीय योगदान दिया गया है, इसे देखते हुए भारत सरकार ने डॉ. सूर्यकान्त को विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रतिभाग करने के लिए भारतीय प्रतिनिधि मंडल के सदस्य के रूप में आमंत्रित किया है.
डॉ. सूर्यकान्त को उनके द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के लिए पहले भी मॉरिशस में हुए विश्व हिन्दी सम्मेलन (18 से 20 अगस्त 2018) में, भारत के सरकारी प्रतिनिधि के रूप में शामिल होने का गौरव प्राप्त हो चुका है. केजीएमयू व देश के इतिहास में डॉ सूर्यकान्त पहले चिकित्सक हैं, जिन्होंने किसी भी विश्व हिन्दी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधि के रूप में प्रतिभाग किया. डॉ सूर्यकान्त ने अपना चिकित्सकीय एम.डी. शोध प्रबंध 1991 में “क्षय रोगों की अल्पावधि रसायन चिकित्सा में सह औषधियों की भूमिका“ हिंदी भाषा में लिखकर किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में हिन्दी भाषा के स्थापन/प्रसार में एक नवीन इतिहास व कीर्तिमान स्थापित कर दिया था. डॉ. सूर्यकांत को हिंदी में शोध प्रबंध जमा करने की अनुमति एक वर्ष के सतत संघर्ष के बाद उप्र विधान सभा के ऐतिहासिक प्रस्ताव (14-08-1991) द्वारा मिली थी.
उन्हें भारत के प्रसिद्ध शीर्ष 58 लोगों में शामिल किया गया है जो भारत के विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में काम कर रहे हैं. डॉ. सूर्यकान्त को हाल ही में विश्व के सर्वोच्च 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की श्रेणी में भी स्थान प्राप्त हुआ है. उन्हें अब तक विभिन्न संस्थाओं द्वारा 173 पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. हिंदी भाषा की उन्नति में विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर के विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण है केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में हिन्दी को समृद्ध करने के लिए दिया गया. “आत्माराम राष्ट्रीय पुरस्कार (2017)". इसके अतिरिक्त डॉ. सूर्यकान्त को मिलने वाले सम्मानों में उप्र हिन्दी संस्थान द्वारा अति प्रतिष्ठित विश्वविद्यालीय हिंदी पुरस्कार (2013) और “विद्या वाचस्पति“, “चिकित्सा शिरोमणि“ मानद उपाधि, एवं “साहित्य गौरव चिकित्सा वाचस्पति“ (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सेवी संस्थान इलाहाबाद) प्रमुख हैं. इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा को चिकित्सा क्षेत्र में स्थापित करने के लिए डॉ. सूर्यकान्त को अटल बिहारी बाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल, (2012) इटावा हिन्दी निधि सम्मान (2009), विज्ञान प्रभा, लखनऊ (1993) आदि के द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.