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Kafeel Khan Book Release : गोरखपुर अस्पताल त्रासदी पर आधारित पुस्तक का महेश जोशी ने किया विमोचन - डॉ. कफील खान की पुस्तक

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में साल 2017 में हुई त्रासदी के बाद चर्चा में आए डॉ. कफील खान की पुस्तक 'द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजेडी' का राजस्थान विश्वविद्यालय में विमोचन किया (Dr. Kafeel Khan book released) गया. पीएचईडी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने पुस्तक का विमोचन किया.

डॉ. कफील खान की बुक लांच
डॉ. कफील खान की बुक लांच

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Published : Dec 30, 2021, 9:51 PM IST

जयपुर/गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर अस्पताल में साल 2017 में हुई त्रासदी के बाद चर्चा में आए डॉ. कफील खान की पुस्तक 'The Gorakhpur Hospital Tragedy' का आज राजस्थान विश्वविद्यालय में विमोचन किया गया. पीएचईडी मंत्री डॉ. महेश जोशी ने पुस्तक का विमोचन (Kafeel Khan book release Jaipur) किया. पैन मैकमिलन इंडिया ने इस किताब का प्रकाशन किया है. डॉ. कफील खान का कहना है कि इस पुस्तक की लांचिग को उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़कर देखना गलत है.

इस पुस्तक की लांचिग से पहले डॉ. कफील खान ने अपने अनुभव बताए. उन्होंने कहा कि उनके साथ ही उनके परिवार को उस गुनाह की सजा मिली है, जो उन्होंने किया ही नहीं.

डॉ. कफील खान की बुक लांच
मंत्री महेश जोशी ने कहा कि आज देश में लड़ाई लोकतंत्र को बचाने की जरुरत (Mahesh Joshi on Kafeel Khan) है. देश की अतिवादी ताकतों को किसी धर्म या किसी मजहब से कोई मतलब नहीं है. वे धर्म-मजहब का सहारा लेकर अपनी तानाशाही मजबूत करने में लगे हैं. आज आवश्यकता इस बात की है कि लोकतंत्र को बचाने का हम सब संकल्प लें. जिससे जो कफील खान ने जो भुगता वह किसी ओर को नहीं भुगतना पड़े.

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डॉ. कफील खान ने कहा कि कोरोना काल में जिस तरह हमने स्वास्थ्य व्यवस्था को चरमराते हुए देखा (Kafeel Khan on Gorakhpur Tragedy). वास्तव में वह व्यवस्था पहले ही चरमराई हुई थी. जिसे कोरोना काल ने सबके सामने ला दिया. उनका पुस्तक लिखने का मकसद सिस्टम की खामियां सामने लाना है. मैंने न सिर्फ अपनी दास्तान बताने की कोशिश की है. उन 80 परिवारों की पीड़ा भी इसमें है. जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है और आज भी इंसाफ के लिए भटक रहे हैं. उन्होंने इस किताब में न्यायपालिका और जेल सिस्टम की खामियों को भी उजागर करने का प्रयास किया है.

उन्होंने तथ्यों का हवाला देते हुए बताया कि गोरखपुर अस्पताल की दुखान्तिका सिस्टम की लापरवाही का नतीजा है. इस किताब की लांचिग को उत्तर प्रदेश चुनाव से जोड़कर देखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि उनका यह मकसद होता तो आज वे जयपुर में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश में लोगों के बीच यह पुस्तक बांट रहे होते.

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