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फलों व सब्जियों को खाने से पहले कैसे करें कीटनाशक मुक्त, जानें डॉक्टरों के टिप्स..

कीटनाशकों का अधिक इस्तेमाल और इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए लखनऊ में एक सेशन का आयोजन किया गया. इसमें डॉक्टरों का एक पैनल मौजूद रहा. इस दौरान डॉक्टरों कीटनाशक युक्त फलों व सब्जियों को हर्बल प्रोडक्ट ह्यूमैरी के जरिए कीटनाशक मुक्त करने के टिप्स दिए.

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Published : Jan 20, 2022, 9:29 AM IST

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सेशन में मौजूद डॉक्टर्स का पैनल

लखनऊ: आधुनिक दौर में पैदावार बढ़ाने की होड़ में पेस्टीसाइड (कीटनाशक) का अधिक इस्तेमाल हो रहा है. इसके साथ ही सब्जियों व फलों की रंगत बढ़ाने के लिए भी कीटनाशकों, कीटाणुओं, बैक्टीरिया, कृत्रिम कोटिंग का भी भरपूर उपयोग हो रहा है. इसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. इसके चलते पेस्टीसाइड के नुकसान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए एमएमए हर्बल के ह्यूमैरी लॉन्च के मौके पर लखनऊ में एक सेशन का आयोजन किया गया. इस दौरान पैनल में केजीएमयू के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अब्बास अली मेहंदी, केजीएमयू की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता, केजीएमयू के गैस्ट्रो मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डा. सुमित रूंगटा और एएमए हर्बल के सह-संस्थापक और सीईओ यावर अली शाह मौजूद रहें.

एएमए हर्बल के सह-संस्थापक और सीईओ यावर अली शाह ने कहा कि सभी लोग अच्छी सेहत की कामना करते हैं. इसके लिए अच्छे से अच्छा खाते हैं और घर के खाने पर जोर देते हैं. इसके बाद भी स्वास्थ्य संबंधी शिकायतें बढ़ती जा रही हैं. इसका कारण फलों, सब्जियों और दलहन में इस्तेमाल किए जाने वाले पेस्टीसाइड हैं. इसे देखते हुए लोगों को जागरुक करने के लिए इस सेशन का आयोजन किया गया है. उन्होंने बताया कि हर्बल प्रोडक्ट ह्यूमैरी ( एक तरह का प्राकृतिक फूड वॉश रेंज) के जरिए खाद्य सामग्री केवल दो मिनट में 99.9 फीसदी पेस्टीसाइड मुक्त हो जाती है. यह ग्राहकों के लिए काफी किफायती दामों पर बाजार में उपलब्ध है. केवल 3.86 पैसे खर्च कर एक लीटर पानी में घोल बनाकर फल और सब्जियों को साफ किया जा सकता है.

केजीएमयू की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुजाता देव ने बताया कि पेस्टीसाइड हमारे शरीर को अप्रत्यक्ष रूप से भारी नुकसान पहुंचाता है. ये गर्भवती महिला के साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी बुरा प्रभाव डाल रहे हैं. पेस्टीसाइज युक्त भोजन का सेवन मां और बच्चे से जुड़ी नाल के जरिए बच्चे पर प्रभाव डालता है. इससे न केवल बच्चों में जन्मजात बीमारियां बढ़ती जा रही हैं, बल्कि सिजेरियन डिलीवरी में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है. सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बच्चों का वजन कम होना, ग्रोथ न होना, प्री-टर्म डिलीवरी होने जैसे लक्षण आ रहे हैं.

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केजीएमयू बायोकेमिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अब्बास अली मेहंदी ने बताया कि पेस्टीसाइड की अधिक मात्रा हमारे शरीर के ऑर्गन्स को डेमेज कर रही है. इसके चलते लीवर और दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. लेकिन इसके समाधान के लिए एमएमए हर्बल की ह्यूमैरी श्रृंखला समाज के लिए काफी हितकारी सबित होगी.

केजीएमयू के गैस्ट्रो मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. सुमित रूंगटा ने बताया कि पेस्टीसाइड से गैस, गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिसीज (जीईआरडी) व अन्य तमाम बीमारियां बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही लीवर के मरीज भी बढ़ रहे हैं. इसके पीछे कहीं न कहीं पेस्टीसाइड जुड़ा हुआ है.

एक डेटा के अनुसार सरकार ने पूरे भारत में 2005 व 2006 में 35 सेंटर बनाए थे, जो पेस्टीसाइड के प्रयोग को लेकर मॉनिटरिंग करते थे. हालांकि अब पूरे भारत में 313 लैब सरकार की तरफ से संचालित हैं. इसके जरिए पेस्टीसाइड के मानकों व प्रयोग को लेकर लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. लेकिन पेस्टीसाइड को लेकर उस स्तर पर सफलता प्राप्त नहीं हो सकी है, जितनी होनी चाहिए.

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